हाल ही में अपने देश पहुंची प्रियंका चोपड़ा मुंबई में कुछ दिन बिताने के बाद शनिवार को दिल्ली में यूनिसेफ के कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचीं. यूनिसेफ की ग्लोबल गुडविल एंबेस्डर प्रियंका चोपड़ा ने यहां किशोर लड़कियों और लड़कों को जागरुक करने और उनकी समस्याओं पर बात करते नजर आईं. यूनिसेफ की ब्रांड एंबेस्डर प्रियंका चोपड़ा ने इस मौके पर कहा, ‘मेरा सपना है कि भारत के किशोर आजाद हों, वह आजाद हों सपने देखने के लिए, स्कूल जाने के लिए, हर किशोर अपने मन से वह कर सकें जो वह चाहें और यही मेरा सपना है. मुझे लगता है कि बच्चों के बच्चा बने रहने दें.’
वहीं सरकार के ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान के बारे में कहा कि यह 161 जिलों से शुरू हुआ था और अब वह 640 जिलों तक जाएगा. यह भले ही सेंट्रल इंडिया से शुरू हुआ हो लेकिन यह अब देशभर में फैल रहा है. सरकार और मंत्रालय बहुत ज्यादा काम कर रही है लेकिन इसके लिए हमारा दिमागी स्तर बदलना बहुत जरूरी है. यह बदलाव सामाजिक आधार पर आना चाहिए.’ प्रियंका ने यहां फिल्म इंडस्ट्री के बारे में कहा, ‘फिल्में हमें समाज का आइना दिखाती हैं, लेकिन यह बॉलीवुड का काम नहीं है कि वह समाज को बदले. वह हम सब से शुरू होगा. सिर्फ हम ही अपनी सोच बदल सकते हैं’
प्रियंका ने इस मौके पर बात करते हुए कहा कि यह जरूरी नहीं कि हम इस तरह के विषय पर काम करने के लिए सिर्फ पैसा खर्च करें. उन्होंने कहा कि आप अपना वक्त और योग्यता को समझ कर इसमें अपना साथ दे सकते हैं. प्रियंका ने कहा, ‘मुझसे कई बार लोग कहते हैं कि हमारे पास पैसे नहीं है, वक्त नहीं है हम क्या करें. अगर हम समाज के लिए नहीं करेंगे तो हम अपने लिए कैसे उम्मीद करें.
प्रियंका से जब उनकी उपलब्धियों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं बहुत लकी हूं. प्रियंका ने यहां अपना उदाहरण देते हुए कहा, ‘मेरे मां बाप दोनों डॉक्टर थे. हमारे अस्पताल में 2-3 बैड हमेशा फ्री में आने वाले मरीजों के लिए होते थे. मैं दवाइयां गिन कर लिफाफे में डालने का काम करती थी.’ मेरी मां के परिवार के लोगों ने हमेशा शिक्षा पर ध्यान दिया. प्रियंका ने इस मौके पर कहा, ‘जितना आप डरेंगे, उतना लोग आपको डराएंगे. इसलिए अपने अधिकारों के लिए खड़े होना सीखें.