सुल्तानपुर: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए अमेठी जिले के मौनी महाराज संगम नगरी इलाहाबाद में 1.51 लाख कुंडीय विजयश्री दीप महायज्ञ कर रहे हैं। मौनी महाराज अपने शिष्यों के साथ हर दिन 51 सौ दीप प्रज्वलित कर रहे हैं।
कौन हैं मौनी बाबा
-मौनी बाबा हिन्दू संरक्षण सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। अमेठी जिले के गौरीगंज कोतवाली के बाबूगंज में मौनी महाराज का आश्रम है। अयोध्या मसले पर कई बार प्रशासन ने उन्हें नजरबंद भी किया है।
-संगम नगरी में चल रहे माघ मेले में अपने यज्ञ के कारण मौनी महाराज एक बार फिर चर्चा में हैं।
क्यों कर रहे हैं यज्ञ
-माघ मेले में सरस्वती मार्ग स्थित परमहंस सेवा व मीरा सत्संग आश्रम के शिविर में वह अपने शिष्यों के साथ राममंदिर निर्माण व गंगा शुद्धिकरण के लिए दीप महायज्ञ के अनुष्ठान में लीन हैं।
भतीजे ने दी जानकारी
-मौनी बाबा के भतीजे प्रनव मिश्रा ने बताया- “मौनी महाराजजी का प्रयाग में अनुष्ठान का यह तीसरा साल है। माघ महीने के समापन पर प्रयाग के संगम तट पर 51 हजार दीपों का दानकर और महाआरती कर अनुष्ठान को पूरा किया जाएगा। इसका समापन 27 जनवरी को हो सकता है। इससे पूर्व मौनी महाराज प्रयाग, नासिक, काशी, अयोध्या, मथुरा, अमेठी, हरिद्वार, उज्जैन समेत तमाम शहरों में राममंदिर के लिए तीन करोड़ से अधिक दीप जलवा चुके हैं।”
1991 से दीप जला रहे हैं मौनी महाराज
– प्रनव मिश्रा ने बताया, दीपदान में वो देशी घी, सरसों व तिल के तेल का उपयोग करते हैं। जिसकी व्यवस्था स्वयं श्रद्धालु करते हैं। वो 1991 से दीपदान अनुष्ठान कर रहे हैं। सबसे पहले मौनी बाबा ने नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर के पास स्थित सोमसरला वेद विज्ञान विश्वविद्यालय में 41 दिन की समाधि ली थी। जब उन्होंने समाधि तोड़ी थी। जिसके बाद तत्कालीन नेपाल नरेश वीरेंद्र विक्रम शाह ने चांदी के मुकुट के साथ 5100 रुद्राक्ष की मालाएं भेंट स्वरूप प्रदान कीं थी।
-वहां से लौटने के बाद उन्होंने अमेठी स्थित टीकरमाफी आश्रम में शारदीय नवरात्र में 3300 दीपों का यज्ञ करवाया था। इसके बाद से यह क्रम अनवरत जारी है। -नासिक कुंभ में भी मौनी महराज ने 51 लाख दीपों का दान किया था।
मंदिर निर्माण में सहयोग राजनीति नहीं
– उन्होंने बताया, मौनी महाराज का कहना है कि- राममंदिर निर्माण के मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। सभी राजनीतिक पार्टियों को मंदिर निर्माण के लिए सहयोग करना चाहिए। राम मंदिर बनने के बाद भी यह अनुष्ठान चलता रहेगा, उसके बाद इस अनुष्ठान का उद्देश्य आतंक जैसी घातक बीमारी को खत्म करना होगा।