एक्टर ईशान खट्टर के पास चेहरा, उम्र और खानदानी विरासत है. जाहिर तौर पर ये चीजें उनके पक्ष में काम करती हैं. खट्टर के लिए इससे बेहतर बात क्या हो सकती है कि अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ईरानी फिल्मकार माजिद मजीदी के निर्देशन में उन्हें काम करने का मौका मिला.
इस बात में कोई शक नहीं कि इस मशहूर और बेहतरीन समझ वाले ईरानी निर्देशक के साथ बॉलीवुड के ऊंचे दर्जे का कोई भी कलाकार काम करना अपनी खुशनसीबी समझेगा. फर्स्टपोस्ट के साथ खास बातचीत में ईशान खट्टर ने अपनी पहली फिल्म ‘बिओंड द क्लाउड्स’ के बारे में बात की. उन्होंने फिल्म के निर्देशक मजीदी के अलावा अपनी मां नीलिमा कपूर और भाई शाहिद कपूर के बारे में काफी खुलकर बात की.
माजिद मजीदी की फिल्म में आपने मुख्य भूमिका कैसे हासिल की?
रोल हासिल करने के बारे में काफी दिलचस्प वाकया है. ऑडिशन के लिए कास्टिंग डायरेक्टर हनी त्रेहन ने मुझे किरदार के मूड के बारे में बताया और मुझे उनके तीन असिस्टेंट के साथ सीन की शूटिंग के लिए भेजा गया. हमने गोरेगांव से लेकर वर्सोवा के मड आईलैंड तक शूट किया. यहां तक कि सुबह 4.30 बजे जगना पड़ता था, क्योंकि हमें धुंधले प्रकाश की जरूरत थी. एक बार जब हम शूटिंग के बाद वापसी में हनी सर के ऑफिस लौटे, तो काफी बारिश होने लगी. उसके बाद उन्होंने मुझे चबूतरे पर जाकर डांस करने को कहा.
मैं उनसे पूछा कि क्या हमें किरदार की तरह यानी उसे ध्यान में रखते हुए डांस करने की जरूरत है या ईशान जैसा (अपनी तरह) डांस करना है. उन्होंने कहा कि दोनों तरह से। हमें इस सिलसिले में 6 मिनट की क्लिप बनानी थी, लेकिन यह धीरे-धीरे 48 मिनट की क्लिप बन गई. मैंने इस क्लिप को माजिद मजीदी सर भेज दिया और इसके बाद झपकी लेने के लिए घर चला गया. जब मेरी नींद खुली, तो मैंने अपने मोबाइल फोन पर हनी सर की मिस्ड कॉल देखी. इसके बाद जब मैंने उन्हें फोन किया, तो उनका जवाब था, ‘तुम चबूतरे पर जाकर चिल्लाओ कि तुम माजिद मजीदी की फिल्म के मुख्य हीरो हो.’
क्या आप वाकई में चिल्लाए थे?
मैं दरअसल चुप हो गया था. दरअसल, यह सब कुछ इतनी जल्दबाजी में हुआ और मैंने इस बात की कल्पना नहीं की थी कि मेरा चुनाव इतना अचानक होगा. मजीदी सर के साथ मेरी मुलाकात भी अचानक और जल्दबाजी में ही हुई थी. मेरी उनसे मुलाकात सिर्फ 5 मिनट चली। उन्होंने मुझसे सिर्फ यह पूछा कि क्या मुझे बाइक चलाना आता है और क्या मैं जिम जाता हूं.
क्या आप मेथड एक्टर हैं?
हर एक्टर का मेथड होता है. जहां तक मेरा सवाल है, तो प्रमुख तौर पर यह खुद को खोजने का मामला है. हालांकि, मैं मेथड एक्टर नहीं हूं और मुझे इस तरह से देखना काफी ज्यादा सीमा तक मेरा दायरा फैलाने की तरह होगा. मेरे पास एक्टिंग की किसी तरह की प्रोफेशनल ट्रेनिंग नहीं हैं. हालांकि, मैं एक्टिंग पर बचपन से काम कर रहा हूं. बहरहाल, यह अचानक वाला मामला नहीं था, बल्कि सोचा-समझा फैसला था. मैं किसी तकनीक या सिस्टम पर निर्भर नहीं रहना चाहता था. मैं सेट पर किसी भी खांचे में ढलने योग्य बनना चाहता हूं.
यानी आप ‘निर्देशक द्वारा बनाए जाने वाले एक्टर’ हैं?
हां, यह निर्देशक के हिसाब से ढलने और उनके (निर्देशक के) साथ काम करने के तौर-तरीके में फिट करने की क्षमता का सिस्टम है. कुछ बुनियादी शर्तें हैं, हालांकि मैं महसूस करता हूं कि सेट पर आने से पहले मुझे खुद के लिए कुछ तैयारी करने की जरूरत होती है.
आपके किरदार- आमिर के लिए संदर्भ क्या था?
यह कई चीजों का मिला-जुला रूप था. पहली बात यह है कि इस फिल्म की कहानी काफी मजबूत और साफ थी, लेकिन किरदार को काफी बारीकी से लिखा गया था. इस संबंध में सबसे दिलचस्प पहलू यह था कि किरदार की कुछ खूबियां ऐसी थीं, जिससे मैं खुद को जोड़ सकता था. साथ ही कुछ चीजें मुझसे अलग भी थीं. लिहाजा, किरदार को लेकर तैयारी करना काफी मजेदार था और मुझे उन लोगों से काफी मदद मिली, जिन्होंने फिल्म में मेरे दोस्तों का किरदार निभाया है.
माजिद मजीदी के बारे में बताएं…वह किस तरह के हैं?
कभी-कभी वह बेहद केंद्रित होते हैं और चाहते हैं कि सिर्फ उनकी बात को माना जाए और उनका विजन भी काफी मजबूत होता है. हालांकि, अन्य मौकों पर वह आपको अलग-अलग तरीके से आजादी भी देते हैं. खासतौर पर ऐसे वक्त में जब आप घबराहट में होते हैं. बहरहाल, आप यह सोचने लगते हैं कि क्या वह खास तरीके से काम करवाना चाहते हैं, जिसके कारण आपको बेहद सतर्क रहना पड़ता है. दरअसल माजिद मजीदी सर आपको आदत नहीं पड़ने देते उनके साथ काम करने की.
इस फिल्म की शूटिंग मुख्य तौर पर लाइव लोकेशन (जहां सब कुछ स्वभाविक ढंग से चल रहा हो, वहां पर शूटिंग करने का मामला) में हुई है. इसका अनुभव कैसा रहा?
लाइव लोकेशन पर शूटिंग की अपनी दिक्कतें हैं. हालांकि, सबसे अहम बात यह थी कि मजीदी सर डरते नहीं हैं. हमारे काफी निर्देशकों को लाइव लोकेशन पर शूटिंग करने में काफी डर लगेगा और वे हिम्मत नहीं जुटा पाएंगे, जबकि मजीदी सर आराम से पहुंचते थे, कैमरा निकालते थे और शूटिंग शुरू कर देते थे. हमारे पास खदेड़ने से संबंधित कई सीन थेऔर उन्होंने इसकी गुरिल्ला तरीके से शूटिंग की. उनके इस प्रयोग के नतीजे शानदार रहे. फिल्म में बैकग्राउंड एक्शन उल्लेखनीय है. यह किसी और दुनिया का जान पड़ता है. यह इतना बेहतरीन है कि आप वास्तविक लोगों और जूनियर कलाकारों में अंतर नहीं कर पाएंगे. मुझे याद है कि हम वर्सोवा गांव में शूटिंग कर रहे थे, जहां फिश मार्केट था. उन्होंने कैमरे का पूरा सिस्टम तैयार किया और शूटिंग कर ली और किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई.
हम अक्सर देखते हैं कि विदेशी यहां सबसे नाजुक और संवेदनशील हिस्से की शूटिंग करते हैं और वापस चले जाते हैं. ‘बीओंड द क्लाउड्स’ के जरिये माजिद मजीदी क्या कहने की कोशिश कर रहे हैं?
इस बारे में आपको तब पता चलेगा, जब आप फिल्म देखेंगे. हालांकि, मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि यह काफी सही और ईमानदार कोशिश है. इसमें काफी गहरा और गंभीर होने की कोशिश नहीं हैा, लेकिन वाकई में इसमें मानवीय संदेश है, जो कि माजिद सर की तमाम फिल्मों की परंपरा रही है. यह मानवीय फिल्म है. फिल्म आपको मानवीय स्तर पर जोड़ेगी. इसका संदेश काफी व्यापक है. इसका सबूत दुनिया भर में आयोजित विभिन्न फिल्म फेस्टिवल में अलग-अलग देशों के लोगों की इस फिल्म को लेकर आई प्रतिक्रिया है.
मैंने शाहिद की पहली फिल्म के संबंध में उनका इंटरव्यू किया था, उस वक्त वह काफी अपरिपक्व थे, लेकिन आप परिपक्व और दुनियादारी की समझ वाले जान पड़ते हैं?
मैंने उनका (शाहिद कपूर का) फिल्मी सफर देखा है और उनसे सीखा भी है. जहां तक मेरा सवाल है, तो जिस तरह की जिंदगी मैंने जी है, उस वजह से और मुख्य तौर पर मेरे नजरिये और मेरे सफर के कारण भी मुझे लगता है कि बचपन में ही मुझे परिपक्व होना पड़ा. मैं इस बात का आभारी हूं, क्योंकि मैं आज जो भी हूं, उसी वजह से हूं.
अपनी मां नीलिमा से आपके कैसे रिश्ते हैं?
हमारे रिश्ते काफी हद तक दोस्त जैसे हैं. हम एक-दूसरे के काफी करीब हैं. उन्होंने ही मुझे वह शख्स बनाया है, जो आज मैं हूं. वह काफी उदार हैं और उन्होंने हमेशा मुझे अपनी सोच और नजरिया रखने की इजाजत दी है.
मुझे पता है कि आपकी मां नीलिमा कपूर लिखती हैं और आप भी इससे जुड़े हैं?
मैं ऐसा करता हूं. मैंने खुद को लिखने-पढ़ने में व्यस्त किया था, लेकिन जब मैं शूटिंग कर रहा होता हूं, तो मैं काफी बेचैन सा हो जाता हूं और पढ़ाई-लिखाई के लिए आपको शांति चाहिए. फिलहाल मैं ‘धड़क’ के लिए शूटिंग कर रहा हूं, लिहाजा लिखने का वक्त नहीं है.
आप किन दो किरदारों से खुद को जोड़ते हैं या वे चुनौतीपूर्ण थे?
आमिर का किरदार ईशान से अलग था, लेकिन धड़क का किरदार ईशान से और भी दूर है. यह मजेदार था और इस तरह का किरदार निभाना काफी संतोषजनक भी होता है.