हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ‘जानी’ कहते ही जहन में एक ऐसे एक्टर की छवि बन जाती है जिसकी आवाज की कशिश और एक्टिंग के हुनर के सभी कायल थे। उनका नाम है राज कुमार जिन्होंने तकरीबन 60 फिल्मों में एक से बढ़कर एक रोल अदा किए थे। हिंदी सिनेमा जगत में 60 से लेकर 80 के दशक तक राज कुमार के लिए सुनहरा समय था। साल 1952 में रिलीज हुई फिल्म ‘रंगीली’ से एंट्री करने वाले राज कुमार ने ‘आबशार’, ‘घमंड’ और ‘लाखों में एक’ जैसी फिल्मों में दमदार एक्टिंग के जरिए अच्छा खासा रुतबा हासिल कर लिया था। जितना उनका नाम आबाद था, उतनी ही उनकी एक्टिंग और डायलॉग डिलीवरी की चर्चा होती थी। राज कुमार अपनी बेहतरीन डॉयलॉग डिलीवरी की वजह से आज भी याद किए जाते हैं। राज कुमार ने जो रुतबा सफल फिल्मों की वजह से हासिल किया था वो स्टारडम के ढलान पर भी जस का तस बना हुआ था। चलिए उनसे जुड़ा एक रोचक किस्सा बताते हैं जब अपने कुत्ते से पूछकर उन्होंने डायरेक्टर का ऑफर ठुकरा दिया था।
दरअसल यह वाकया 90 के दशक का है। उन दिनों राज कुमार के पास कम ही फिल्मों के ऑफर थे लेकिन बावजूद इसके उनके तेवर और स्टाइल में कोई कमी नहीं आई थी। राज कुमार स्टारर फिल्म ‘इंसानियत का देवता’, ‘पुलिस और मुजरिम’ जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास नहीं कर पा रही थीं।
उसी दौरान डायरेक्टर रामानंद सागर राज कुमार के पास एक फिल्म का ऑफर लेकर पहुंचे। बताते चलें कि डायरेक्टर रामानंद सागर राज कुमार के बहुत अच्छे दोस्त भी थे। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो रामानंद सागर ने राज कुमार को फिल्म के बारे में बताया और लीड रोल के साथ-साथ 10 लाख रुपए तक देने की बात रख दी। तभी राज कुमार के रूम में उनका कुत्ता आया और उसके बाद कुछ ऐसा हुआ जिसकी उम्मीद उनके दोस्त को भी नहीं थी।
दरअसल राज कुमार ने डायरेक्टर रामानंद सागर के सामने अपने कुत्ते से पूछा कि क्या उन्हें यह फिल्म करनी चाहिए। कुत्ता उस वक्त भौंकने लगा। राज कुमार ने रामानंद को जवाब में कहा कि उनके कुत्ते को भी इस फिल्म का ऑफर मंजूर नहीं है तो फिल्म करने का सवाल नहीं उठता।
राज कुमार का यह बर्ताव रामानंद सागर को बहुत खराब लगा और वो वहां से चले गए। इसके बाद उन्होंने तुरंत धर्मेंद्र को साइन कर लिया था। फिल्म का नाम था ‘आंखें’। फिल्म रिलीज हुई और बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई भी की।