Thursday, November 21, 2024
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परेशानी से बचने के ल‍िए चावल से क‍िए जाते हैं कैसे-कैसे टोटके…

SI News Today

भारतीय संस्कृति में चावल को देवताओं का प्रिय भोग माना गया है। हिंदू धर्म चावल का बहुत महत्व माना गया है। इसी वजह से हर तरह की पूजा में चावल का प्रयोग किया जाता है। कोई भी पूजा, यज्ञ आदि अनुष्ठान बिना चावल के पूर्ण नहीं हो सकता। चावल अर्थात अक्षत का मतलब जिसका क्षय नहीं हुआ है। हिन्दुओं में किसी भी शुभ कार्यों पर माथे पर रोली के साथ चावल लगाकर तिलक किया जाता है। धर्म-कर्म के साथ चावल का प्रयोग विभिन्न प्रकार के तंत्र-मंत्रों में भी किया जाता है। आप भी चावल के कुछ आसान टोटकों को अपनाकर अपनी समस्याओं से राहत पा सकते हैं। साथ ही चावल हर तरह के धन की समस्याओं से निपटने में आपकी मदद करता है।

– सोमवार के दिन सुबह स्नान आदि के पश्चात शिवलिंग की पूजा करें। इस पूजा में एक किलो चावल लेकर बैठें। इसके बाद शिवलिंग की पूजा के बाद उसपर एक मुठ्ठी चावल अर्पित कर दें। बाकि बचे हुए चावल मंदिर में दान करें या किसी गरीब को दें। इस प्रक्रिया को लगातार 5 सोमवार करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। कौओं को रोजाना कुछ दिनों तक मीठे चावल खिलाने से नौकरी मिलने में आसानी होती है और ऑफिस में आ रही परेशानियां खत्म होती हैं।

– चावल के द्वारा कई ऐसे टोटके भी किए जाते हैं जिससे शत्रुओं के द्वारा फैलाए जाल से निकलने में भी आसानी होती है। इसके लिए साबुत उड़द दाल के 38 दाने और चावल के 40 दाने मिलाकर एक गड्ढे में दबा दें और इसके ऊपर नींबू निचोड़ दें। नींबू निचोड़ते समय शत्रु का नाम लें इसके बाद वो आपके रास्ते में मुसीबतें नहीं खड़ी कर पाएगा।

– किसी शुक्रवार की रात 10 बजे के बाद अपने सामने चौकी पर एक कलश रखें। कलश के ऊपर शुद्ध केसर से स्वस्तिक का चिह्न बनाकर उसमें पानी भर दें। इसके बाद उसमें चावल, दूर्वा और एक रूपया डाल दें। फिर एक छोटी सी प्लेट में चावल भरकर उसे कलश के ऊपर रखें। उसके ऊपर श्रीयंत्र स्थापित कर दें। इसके बाद उसके निकट चौमुखी दीपक जलाकर उसका कुंकुम और चावल से पूजन करें। इसके बाद 10 मिनट तक लक्ष्मी का ध्यान करें। आपकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी।

– किसी भी माह की शुक्लपक्ष की चतुर्थी से चांदी की छोटी कटोरी में गाय का दूध लेकर उसमें शक्कर एवं उबले हुए चावल मिलाकर चंद्रोदय के समय चंद्रमा को तुलसी की पत्ती डालकर यह नेवैद्य बताएं व प्रदक्षिणा करें। इस प्रकार यह नियम 45 दिनों तक करें। 45 दिन पूर्ण होने पर एक कन्या को भोजन करवाकर वस्त्र और मेंहदी दान करें। ऐसा करने से सुयोग्य वर की प्राप्ति होकर शीघ्र मांगलिक कार्य संपन्न होगा।

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