‘मंगलसूत्र’ दो शब्दों से मिलाकर बना है, मंगल और सूत्र। ‘मंगल’ का अर्थ होता है पवित्र, वहीं ‘सूत्र’ का अर्थ होता है पवित्र हार। हिंदू धर्म में मगंलसूत्र को वैवाहिक जीवन का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में मंगलसूत्र को विवाह के बाद ही पहना जाता है। कहा जाता है कि वैवाहिक स्त्री अपने पति के जीवन की रक्षा और लंबी आयु के लिए मंगलसूत्र पहनती है। कहा जाता है कि मंगलसूत्र को पहनने से पति-पत्नी का तालमेल अच्छा हो जाता है। कई तरह की बाधाएं दूर हो जाती हैं। मंगलसूत्र महिलाओं के लिए रक्षा कवच और संपन्नता का काम करता है।
मंगलसूत्र मूलतः पीले धागे से बनता है। मंगलसूत्र में पीले धागे का होना बहुत जरूरी होता है। इसी पीले धागे में काले मोती पिरोए जाते हैं। कहा जाता है कि काला रंग शनि देवता का प्रतिनिधित्व करता है। शादीशुदा महिलाएं जहां भी जाती हैं आकर्षण का केंद्र होती हैं इस स्थिति में काले मोती उसे बुरी नजर से बचाते हैं।
मंगलसूत्र में पीले धागे के साथ सोने या पीतल का लॉकेट भी पहना जाता है। क्योंकि पीला रंग बृहस्पति ग्रह का प्रतीक होता है तो वहीं काला रंग शनि का प्रतीक होता है। गुरू और शनि ग्रह की शक्ति से ही किसी व्यक्ति की शादी हो सकती है और इन्हीं ग्रहों के कारण किसी व्यक्ति की शादी चलती है।
पीले रंग का धागा पहनने से बृहस्पति मजबूत होता है और अगर महिलाओं का बृहस्पति मजबूत होता है तो उनका वैवाहिक जीवन भी मजबूत होता है। अगर किसी महिला का बृहस्पति अच्छा नहीं होता तो उसका वैवाहिक जीवन भी अच्छा नहीं रहता है।
यह माना जाता है कि मंगलसूत्र का पीला हिस्सा मां पार्वती का प्रतीक है और काला हिस्सा भगवान शिवजी का प्रतीक है। शिव जी की कृपा से हमेशा महिला और उसके पती की रक्षा होती है वहीं माता पार्वती से वैवाहिक जीवन अच्छा होता है।