Wednesday, January 15, 2025
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पुलिस चौकी पर हमला, सुरक्षाबलों के साथ एनकाउंटर में 3 आतंकी ढेर

SI News Today

सेना को अनंतनाग के हकूरा इलाके में कुछ आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली थी, जिसके बाद यहां सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया। सर्च के दौरान ही छिपे हुए आतंकियों ने जवानों पर फायरिंग शुरू कर दी।जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में सुरक्षाबलों ने सोमवार को तीन आतंकियों को मार गिराया। सेना की ओर से जवाबी फायरिंग में तीन आतंकी ढेर हो गए। जानकारी के मुताबिक, इलाके में अभी और आतंकी छिपे हो सकते हैं, इसलिए सेना की खोजबीन जारी है।

कश्मीर में आतंकियों का ठिकाना

मुठभेड़ में मारे गए आतंकी कश्मीर के ही रहने वाले थे। इनकी पहचान श्रीनगर के इसा फाजली और अनंतनाग के रहने वाले सैयद ओवैसी और सब्जार अहमद सोफी के तौर पर हुई है।
पुलिस ने घटनास्थल से रायफल्स, एके-47 पिस्तौल और ग्रेनेड समेत कई असलहे बरामद किए हैं।
मारे गए आतंकियों में से एक हाल ही में सौरा स्थित पुलिस गार्ड पोस्ट पर हुए हमले में शामिल था। इस हमले में एक कॉन्स्टेबल की मौत हो गई थी।

कॉलेज,रेल सेवा ठप

सेना के ऑपरेशन के बाद सुरक्षा कारणों से घाटी में ट्रेन सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं। वहीं, सोमवार को कश्मीर में होने वाले यूनिवर्सटी और बोर्ड एग्जाम्स को रोक दिया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए स्कूलों को बंद किया गया है।

इसी महीने अन्कॉउंटर किया गया जैश का मास्टरमाइंड वकास

इसी महीने सुरक्षाबलों ने सुंजवान कैंप हमले के मास्टरमाइंड और जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर मुफ्ती वकास को एनकाउंटर में मार गिराया था। वकास ने 10 फरवरी को चार आतंकियों को भेजकर सुंजवान आर्मी कैंप पर आत्मघाती हमला करवाया था, जिसमें 6 जवान समेत एक नागरिक शहीद हो गया था।

फिदायीन बनाया जा रहा कश्मीरी लड़कों को

सीमा पर बढ़ती चौकसी की वजह से पाकिस्तान से आने वाले आतंकियों की संख्या घट गई है। ऐसे में जैश और लश्कर जैसे आतंकी गुट अपने साथ जुड़े स्थानीय युवाओं को आतंकी हमलों में शामिल कर उन्हें फिदायीन बना रहे हैं।
लेखपुरा एनकाउंटर के बाद पाकिस्तानी आतंकी के मोबाइल में मिले वॉट्सएप ग्रुप से हुआ था। यह खुलासा
घाटी में सक्रिय जैश-ए-मोहम्मद ने तीन से चार आतंकियों का फिदायीन ग्रुप तैयार किया है। इसमें एक या दो आतंकी जैश के और बाकी जम्मू-कश्मीर के लोकल यूथ शामिल होते हैं।
पहले इनका इस्तेमाल बतौर स्लीपर सेल सिक्युरिटी फोर्सेस के कैंप की रेकी, वहां तैनात जवानों की संख्या और हमले के लिए चुने गए शहर में सुरक्षित ठिकाने मुहैया कराने के लिए होता था। अब इन्हें एके-47 जैसे हथियारों की ट्रेनिंग देकर हमलों के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा है।

 

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