Padmaavat (Padmavati) Movie Review: संजय लीला भंसाली की चर्चित और विवादित फिल्म पद्मावत करीब एक मिनट लंबे डिस्क्लेमर के साथ शुरू होती है। संजय लीला भंसाली जैसी बड़े स्तर की फिल्म बनाने के लिए जाने जाते हैं वो आपको पद्मावत देखकर हर क्षण महसूस होगा। फिल्म के भव्य सेट, मंदिर, किला, किले के बाहर पड़ी सेना की छावनी के चलते ये फिल्म आपको दूसरी हिन्दी ऐतिहासिक फिल्मों से एक स्तर ऊपर की महसूस होगी। फिल्म में एक भी ऐसा दृश्य या संवाद नहीं है जिसके चलते विवाद की गुंजाइश महसूस हो। फिल्म पूरी तरह से राजपूताना गौरव का बखान करती है और खिलजियों को हिंसक, क्रूर और आक्रमणकारी दिखाती है। सहीं मायनों में फिल्म खिलजी या दिल्ली सल्तनत को कबीलाई, औरतों और सत्ता के लिए लड़ते, सनकी लोगों के झुंड की तरह दिखाती है। दूसरी तरफ राजपूतों को बेहद संयमित, नियम-कायदों से लड़ने वाला दिखाया गया है।
कहानी: मलिक मोहम्मद जायसी के महाकाव्य पद्मावत पर आधारित ये फिल्म 13वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश और मेवाड़ के राजपूत सिसोदिया वंश के बीच लड़ी गई लड़ाई पर आधारित है। फिल्म शुरू होती है अपने चाचा जलालुद्दीन खिलजी को मार कर दिल्ली की शाही गद्दी पर बैठने वाले अलाउद्दीन खिलजी से जो हर बेशकीमती चीज को हासिल करना चाहता है। उसके पास पहुंचकर मेवाड़ से देश निकाला झेल रहा राजपुरोहित चेतन राघव उसे मेवाड़ की महारानी पद्मावती को नायाब बताते हुए हासिल करने के लिए उकसाता है और इसके बाद शुरू होती राजपूत और खिलजियों के बीच एक लंबी जंग। फिल्म में एक भी ऐसा दृश्य नहीं है जिसमें अलाउद्दीन खिलजी बने रणवीर सिंह और रानी पद्मावती बनी दीपिका पादुकोण एक साथ नजर आए हों। पूरी फिल्म में खिलजी रानी पद्मावती की झलक देखने के लिए उतावला नजर आता है। फिल्म का एक हिस्सा जिसमें खिलजी को शीशे में से रानी पद्मावती की झलक दिखाने की बात मानी जाती है वहां भी एक क्षण के लिए घूंघट में दिखाकर पर्दा बंद कर दिया जाता है। बाद में खिलजी ये बात बोलता भी है कि एक झलक दिखाने के नाम पर तुम राजपूतों ने भी तो मेरे साथ धोखा किया।
अभिनय: फिल्म की तीनों मुख्य एक्टर रावल रतन सिंह के रोल में शाहिद कपूर, रानी पद्मावती के रोल में दीपिका पादुकोण और अलाउद्दीन खिलजी के रोल में रणवीर सिंह अपने किरदार के साथ न्याय करते दिखते हैं। खिलजी के रोल में रणवीर सिंह इतने उम्दा लगे हैं कि ये रोल उनके करियर में एक मील का पत्थर साबित होगा। कुछ सीन में उनके संवाद और चेहरे के मक्कारी से भरे भाव देखने लायक है। अपने सर के ताज और पद्मावती को लेकर खिलजी की सनक उनके अभिनय में साफ नजर आती है। शाहिद कपूर अपने अभिनय से तो प्रभावित करते हैं लेकिन अपनी कद-काठी से मात खाते दिखते हैं। फिल्म के एक दृश्य जिसमें रावल रत्न सिंह की पीठ पर तीर खाए हुए हैं और खिलजी उनकी तलवार के पहुंच में होते हुए भी वो मार नहीं पाते बेहद शानदार है। दीपिका पादुकोण रानी पद्मावती के रोल प्रभावित करती हैं। खूबसूरती, प्रेम, धैर्य, युद्ध और त्याग सभी तरह के मनोभाव में रानी पद्मावती के किरदार में वो प्रभावित करती हैं। मलिक काफूर के रोल जिम सरब के हिस्से में कई अच्छे दृश्य हैं और वो आपको फिल्म खत्म होने के बाद भी याद रहेंगे।
क्यों देखें: भारत में इतिहास आधारित फिल्म बनाने की ज्यादा परंपरा नहीं है। ऐसे में ये फिल्म आपको अपनी आन बान शान के लिए लड़ते राजपूताना के इतिहास की झलक देगी। चित्तौड़गढ़ दुर्ग जिसमें माना जाता है कि आक्रमणकर्ताओं से बचने के लिए तीन बार जौहर किया गया है उन्हें ये फिल्म एक श्रद्धांजलि की तरह है। इसके अलावा राजस्थान की लोक संस्कृति भी फिल्म के माध्यम से करीब से देखने को मिलती है।
ये बातें खटक सकती हैं: फिल्म की सबसे बड़ी कमी है इसकी रफ्तार। फिल्म शुरुआत में बेहद धीमी है जिसके चलते दूसरे हाफ में काफी तेजी से कहानी भागती दिखती है। जिन दृश्यों में ठहराव होना चाहिए तो वो बहुत तेजी से निपटाए गए हैं। खास कर गोरा-बादल के रावल रत्न सिंह को दिल्ली से छुड़ाते समय युद्ध के दृश्य। इसके अलावा 16 हजार महिलाओं के जौहर करने वाले दृश्यों को भी थोड़ा और इमोशनल बनाया जा सकता था। इसके अलावा फिल्म बहुत ज्यादा अंधेरे में शूट की गई है। 3डी में देखने पर तो कई बार आपको सीन समझने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।