Friday, November 22, 2024
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सेना के खिलाफ मर्डर के FIR पर भड़के बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी…

SI News Today

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सेना पर एफआईआर दर्ज किए जाने की घटना की निंदा की है और इसे शर्मनाक करतूत बताया है। समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में स्वामी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती को सेना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी तुरंत वापस लेनी चाहिए अन्यथा सरकार गिरा देनी चाहिए। स्वामी ने भड़कते हुए अंदाज में कहा कि ऐसी सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए। उन्होंने कहा, पता नहीं हम क्यों ऐसी सरकार चला रहे हैं? आज तक यह बात समझ में नहीं आई। बता दें कि शनिवार को कश्मीर घाटी के शोपियां में 2 नागरिकों के मारे जाने के बाद पुलिस ने सेना पर मर्डर का केस दर्ज किया है।

जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक शनिवार (27 जनवरी) को शोपियां जिला के गानवपोरा गांव से जिस समय सेना का काफिला गुजर रहा था, उस वक्त प्रदर्शनकारियों ने सेना के ऊपर ना केवल पत्थरबाजी की बल्कि एक जूनियर कमीशंड ऑफिसर को पकड़कर उसका सर्विस हथियार छीनने की कोशिश की थी। इसके बाद सेना के जवानों ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई की थी। सैन्य प्रवक्ता के अनुसार, सेना को उस समय विवश होकर प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलानी पड़ी थी, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी।

इस बीच राज्य के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कहा है कि हम इस तरह किसी को भी इस बात की इजाजत नहीं दे सकते कि कोई सेना की मान-मर्यादा और प्रतिष्ठा को धूमल कर सके। इनसे ठीक उलट नेशनल कॉन्फ्रेन्स के विधायक मोहम्मद सागर ने शोपियां में दो नागरिकों की मौत के लिए जिम्मेदार सेना के अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। राज्य के पुलिस महानिदेशक ने शोपियां गोलीकांड को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है और कहा है कि पुलिस मामले की निष्पक्षता से जांच करेगी। उन्होंने सोमवार को कहा कि पुलिस इस बात की जांच करेगी कि आखिर किन परिस्थितियों में विवश होकर सेना को फायरिंग करनी पड़ी। बतौर डीजीपी पत्थरबाजों का नाम एफआईआर में क्यों नहीं है, इसकी भी जांच की जाएगी।

पुलिस के मुताबिक एफआईआर में आरोपी बनाए गए सैन्यकर्मी सेना की 10 गढ़वाल इकाई के हैं। उनमें एक मेजर रैंक के अधिकारी का नाम भी शामिल है। इन पर मामला आइपीसी की धारा 302 (हत्या) और धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत दर्ज किया गया है। महबूबा मुफ्ती नीत राज्य सरकार ने घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं और 20 दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगी है। दूसरी ओर, घटना के विरोध में अलगाववादियों की हड़ताल से जनजीवन प्रभावित रहा।

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