गरुड़ पुराण वैष्णव सम्प्रदाय और सनातन धर्म में मृत्यु के बाद सद्रति देने वाला माना जाता है। हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण का पाठ करने का प्रावधान माना जाता है। सभी पुराणों में गरुड़ पुराण का विशेष महत्व माना जाता है। गरुड़ पुराण विष्णु भक्ति का विस्तार वर्णन माना जाता है। ये एक ऐसा ग्रंथ है जो जीवन से जुड़ी अनेक गुप्त बातों से हमें अवगत करवाता है। इन बातों को जीवन में अपनाने से जीवन पद्धति सरल और सुखदायी हो सकती है। धन और सुख-सुविधाओं से संपन्न होने के बाद भी जो व्यक्ति गंदे या इस्तेमाल किए हुए कपड़े पहनते हैं उन लोगों के सारे सुख छिन सकते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार माना जाता है कि ऐसे लोगों से माता लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं। माता लक्ष्मी सुंदर और साफ स्थानों पर वास करती हैं। सुगंधित स्थानों की तरफ माता का विचरण होता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार माना जाता है कि किसी भी कला या विद्या का अभ्यास नहीं किया जाए तो वो कुछ समय बाद कुंठित हो जाती है और हमारा साथ छोड़ देते है। इसी कारण से लगातार अभ्यास आवश्यक माना जाता है। गरुड़ पुराण में एक अन्य मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि जो लोग अपनी कला या विद्या का घमंड करने लगते हैं और दूसरों को हर पल नीचा दिखाने का प्रयास करते हैं। उनसे सरस्वती माता उनका वरदान वापस ले लेती हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार माना जाता है जो लोग संतुलित और अपाच्य भोजन ग्रहण करते हैं, उनके जीवन में बीमारियां हमेशा घेरे रहती हैं। माना जाता है कि संतुलित भोजन से पाचन तंत्र ठीक रहता है और पूरे शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है।
गरुड़ पुराण के अनुसार कहा जाता है कि शत्रुओं से निपटने के लिए चतुरता पूर्ण नीति का सहारा लेना चाहिए। शत्रु से पीछा छुड़ाना आवश्यक होता है लेकिन उनके स्तर पर गिरकर उनसे नहीं छूटा जा सकता है। जैसा शत्रु हो उसी अनुसार चतुर नीति बना कर शत्रु को नष्ट करना चाहिए।