1934 में दूसरे ब्रिटिश एंपायर गेम्स की मेजबानी पहले साउथ अफ़्रीका को करनी थी, लेकिन बाद में इसका आयोजन लंदन (इंग्लैंड) में किया गया. इसका कारण साउथ अफ़्रीका की रंगभेद नीति थी, जिसके कारण ज्यादातर देश इसका बहिष्कार कर सकते थे.
इस संस्करण में 11 के बजाए 16 देशों ने भाग लिया. भारत भी भाग लेने वाले देशों में शामिल हुआ. कुल 500 एथलीटो ने इसमें हिस्सा लिया. पुराने 11 देशों के अलावा इसमें हांगकांग, जमैका, भारत, जिम्बाब्वे (रोडेशिया) और त्रिनिदाद ने भाग लिया. इसमें छह खेल, एथलेटिक्स, मुक्केबाजी, साइकलिंग, लॉन बाउल्स, तैराकी, डाइविंग और कुश्ती के मुकाबले हुए. इसमें न्यूफाउंड लैंड ने आखिरी बार एक अलग राज्य के तौर पर भाग लिया था.
1934 के लंदन खेल कई मायनों में महत्वपूर्ण रहे. एक तो इसमें पहली बार महिला एथलीटों को मौका दिया गया और उनके लिए ज़्यादा थकाने वाले मुकाबलों से परहेज किया गया. भारत ने ना सिर्फ पहली बार भाग लिया, बल्कि उसने पहला पदक कुश्ती में जीता. भारत को एकमात्र कांस्य पदक पुरुषों के 74 किलो ग्राम वर्ग में राशिद अनवर ने दिलाया.
इंग्लैंड की एथलेटिक्स टीम के कप्तान आरएल हॉलैंड ने एथलीट्स की ओर से शपथ ली जो इस प्रकार थी. ‘हम घोषणा करते हैं कि हम महामहिम राजा शासक की वफादार प्रजा हैं और हम एक सच्चे खिलाड़ी की भावना से ब्रिटिश एंपायर गेम्स में हिस्सा लेंगे और हम साम्राज्य और खेल की शान को कायम रखने के लिए इसके नियमों का पालन करेंगे.’
इंग्लैंड ने 29 स्वर्ण के साथ कुल 73 पदक जीते और वह शीर्ष पर रहा. कनाडा को 17 स्वर्ण के साथ 51 पदक मिले, ऑस्ट्रेलिया को आठ स्वर्ण के सात कुल 14 पदक मिले तो साउथ दक्षिण अफ़्रीका ने सात स्वर्ण के साथ 22 और स्कॉटलैंड ने पांच स्वर्ण के साथ 26 पदक