जम्मू-कश्मीर के कठुआ में एक आठ साल की मासूम के साथ दुष्कर्म मामले के बाद पोक्सो एक्ट में केंद्र सरकार की ओर बदलाव लाने की बात पर राजनीति शुरू हो गई है. डीएमके प्रवक्ता ए सरवणन ने कहा, ‘यह पीड़ितों या उनके नजदीकी और प्रियजनों के पीड़ितों को कम करने वाला नहीं है, शायद यह जरूरी है लेकिन यह पीड़ितों को किसी तरह की कोई सुरक्षा नहीं दे पाएगा.’ डीएमके प्रवक्ता का बयान ऐसे समय में आया है जब उत्तर प्रदेश के उन्नाव और जम्मू कश्मीर के कठुआ में नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर देशभर में गुस्से के माहौल की पृष्ठभूमि में सरकार बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने की योजना बना रही है.
सूत्रों के हवाले से मिल रही जानकारी के मुताबिक 12 साल तक बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी को भी मौत की सजा सुनाई जा सकती है. पॉक्सो कानून के आज के प्रावधानों के अनुसार इस जघन्य अपराध के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है. वहीं, न्यूनतम सजा सात साल की जेल है.
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी
दिसंबर 2012 के निर्भया मामले के बाद जब कानूनों में संशोधन किये गये तो बलात्कार के बाद महिला की मृत्यु हो जाने या उसके मृतप्राय होने के मामले में एक अध्यादेश के माध्यम से मौत की सजा का प्रावधान शामिल किया गया जो बाद में आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम बन गया. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह दंडनीय कानून में संशोधन कर 12 साल या उससे छोटी उम्र की बच्चियों के साथ यौन अपराध के दोषियों को मौत की सजा के प्रावधान को शामिल करने पर विचार कर रही है.
मानसून सत्र में संसद में पेश होगा विधेयक
विधि मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘इस मुद्दे से निपटने के लिए इस स्थिति में अध्यादेश सर्वश्रेष्ठ तरीका है. संशोधन विधेयक के लिए मानसून सत्र शुरू होने तक का इंतजार करना पड़ेगा.’ उन्नाव और कठुआ की घटनाओं पर अपनी पहली टिप्पणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह कहा था कि किसी अपराधी को छोड़ा नहीं जाएगा और बेटियों को न्याय मिलेगा. यह पीड़ितों या उनके नजदीक और प्रियजनों के पीड़ितों को कम करने वाला नहीं है, शायद यह जरूरी है लेकिन यह पीड़ितों को कोई बचाव नहीं दे रहा है