Sergei Eisenstein Google Doodle: गूगल ने सोवियत रूस के फिल्ममेकर सर्गेई आइजेंस्टाइन की 120वीं जयंती पर सोमवार को बेहद ही खास डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। सेर्गे को फिल्मों की दुनिया में ‘फादर ऑफ मोंटाज’ भी कहा जाता है। सोवियत रूस के इस डायरेक्टर का जन्म लातविया में 22 जनवरी 1898 के दिन हुआ था। अपने पिता के कदमों पर चलते हुए सर्गेई आइजेंस्टाइन ने आर्किटेक्चर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उसके बाद बोल्शेविक क्रांति में अपना योगदान देने के उद्देश्य से सेर्गे रेड आर्मी में शामिल हो गए। इस दौरान उनका ध्यान थियेटर की ओर चला गया और इस दिशा में रुचि जागने के बाद सेर्गे ने मॉस्को में डिजाइनर के रूप में काम करना शुरू कर दिया।
1923 में सर्गेई आइजेंस्टाइन ने फिल्म थ्योरिस्ट (विचारक) के रूप में काम करना शुरू कर दिया। साल 1925 में उनकी पहली साइलेंट फिल्म ‘स्ट्राइक’ रिलीज हुई। उसके बाद सेर्गे की ‘बैटलशिप पोटेमकिन’ (1925) और ओक्टोबर (1928) सिनेमाघरों में आई। इन फिल्मों ने सर्गेई आइजेंस्टाइन को नई पहचान दिलाई। वहीं फिल्म अलेक्जेंडर नेव्सकी (1938) और इवान द टॅरीबल (1944, 1958) ने भी उन्हें काफी प्रसिद्ध किया। कुछ फिल्मों का निर्माण करने के बाद उन्हें यह महसूस हुआ कि एडिटिंग का इस्तेमाल किसी एक दृश्य को दिखाने और समझाने के अलावा भी दूसरे कामों के लिए किया जा सकता है। सर्गेई आइजेंस्टाइन के मुताबिक बहुत से शॉट्स के मिलाकर दर्शकों को और भी बेहतर कुछ पेश किया जा सकता है।
सेर्गे ने ‘बैटलशिप पोटेमकिन’ के जरिए लोगों के सामने मोंटाज को पेश किया। कई सारे शॉट्स को एक क्रम में लगाकर इस फिल्म में मोंटाज की मदद से लोगों के सामने पेश किया गया, इन सभी शॉट्स ने लोगों को काफी प्रभावित किया। सर्गेई आइजेंस्टाइन ने इसे ‘इंटेलेक्चुअल मोंटाज’ कहा। ऐसा नहीं है कि सेर्गे को अपनी जिंदगी में सफलता आसानी से मिल गई हो, बल्कि उन्हें अपने ही देश में काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। जहां उनकी फिल्मों को विश्व में काफी पसंद किया जा रहा था, वहीं रूस में ही इन पर बैन लगा दिया गया था। सेर्गे की जिंदगी काफी छोटी थी, महज 50 साल की उम्र में हार्ट अटैक के कारण उनकी मौत हो गई। उन्होंने 1948 में आखिरी सांस ली।