चंडीगढ़ में निजी स्कूलों पर शिकंजा कसने के लिए गृह मंत्रालय के एक केंद्रीय शासित प्रभाग (यूटी) ने एक राजपत्रित अधिसूचना जारी करते हुए बताया है कि अब कोई भी निजी स्कूल अपनी मनमानी नहीं कर सकती. अभी तक निजी स्कूल हर साल फीस, बिल्डिंग और टैक्सी फेयर बढ़ा कर किसी न किसी तरह से अभिभावकों से मनमानी फीस बसूलते थे. इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई करने वाले छात्रों के अभिभावकों को तो और भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. प्राइवेट स्कूल हर साल किसी न किसी बहाने स्कूल की फीस में कई फीसदी बढ़ोत्तरी कर देते हैं जिससे बच्चों को पढ़ाना अभिभावकों को काफी मंहगा पड़ता है. लेकिन अब कोई भी प्राइवेट स्कूल अपनी मनमानी नहीं कर सकता और न ही स्कूल शैक्षणिक सत्र के दौरान फीस बढ़ा सकते हैं.
नहीं बढ़ा सकते मनमानी फीस
केंद्र सरकार ने उन अभिभावकों को बड़ी राहत दी है जिनके बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं. दरअसल, अभी तक स्कूल मनमाने तरीके से फीस बढ़ा देते थे जिससे अभिभावकों की जेब पर काफी असर होता है. लेकिन अब सभी निजी स्कूल और अन्य गैर वित्तपोषी शैक्षणिक संस्थानों को हर साल आय और व्यय का ब्यौरा घोषित करना होगा. जिससे वे मनमाने तरीके से या शैक्षणिक सत्र के दौरान किसी भी समय फीस में वृद्धि नहीं कर सकेंगे.
देना होगा आय और व्यय का ब्योरा
अभी तक निजी स्कूल मनमानी के चलते शैक्षणिक सत्र के दौरान कभी भी फीस बढ़ा देते थे. इसके साथ ही पेरेंट्स पर डोनेशन देने का भी दबाव बनाया जाता था. कभी किताबों में बदलाव कर तो कभी एक्स्ट्रा एक्टिविटी के नाम पर पैसे ऐंठे जाते थे. लेकिन अब किसी भी स्कूल के लिेए ऐसा करना मुश्किल हो जाएगा. क्योंकि अब सभी स्कूलों को अपने सभी खर्चों और आय का ब्योरा देना होगा.
निजी स्कूल से होने वाली आमदनी किसी व्यक्ति या ट्रस्ट को नहीं दी जाएगी
बता दें कि चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश है. जिससे चंडीगढ़ गृह मंत्रालय का प्रशासन सीधा नियंत्रण रखता है. मंत्रालय का कहना है कि निजी स्कूलों से होने वाली आमदनी का कोई भी हिस्सा किसी व्यक्ति, ट्रस्ट या स्कूल प्रबंधन समिति को नहीं दिया जाएगा और इसे मुनाफे या कैपिटेशन शुल्क में शामिल नहीं किया जा सकता. केन्द्र शासित क्षेत्र चंडीगढ़ में भी गैर वित्तपोषी शैक्षिक संस्थान के शुल्क के पंजाब नियमन कानून 2016 को कुछ बदलाव के साथ लागू करने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद यह अधिसूचना जारी की गई है.