Friday, December 13, 2024
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कास्टिंग काउच पर मल्लिका शेरावत ने किया बड़ा खुलासा…

SI News Today
Mallika Sherawat did a big disclosure on Casting Couch...

@mallikasherawat

मल्लिका शेरावत ने फिल्‍मों में आते ही अपने बोल्‍ड अवतार के लिए काफी सुर्खियां बटोरी. ‘मर्डर’ और ‘प्‍यार के साइड इफेक्‍ट’ जैसी फिल्‍मों में नजर आ चुकी एक्‍ट्रेस जितनी अपनी फिल्‍मों और बोल्‍ड अवतार के लिए जानी जाती हैं, उतनी ही अपनी बेबाक राय के लिए भी प्रसिद्ध हैं. ऐसे में अब मल्लिका शेरावत ने कास्टिंग काउच से जुड़े अपने अनुभव पर खुलकर बात की है. न्‍यूज एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्‍यू में मल्लिका ने खुलासा किया कि कैसे उन्‍हें एक फिल्‍म से सिर्फ इसलिए बाहर कर दिया गया क्‍योंकि उन्‍होंने अपने को-स्‍टार के साथ शूटिंग के बाद करीबी बढ़ाने से इंकार कर दिया था. एक इंटरव्‍यू में मल्लिका ने कहा, ‘मुझे एक प्रोजेक्‍ट से सिर्फ इसलिए बाहर का रास्‍ता दिखा दिया गया क्‍योंकि हीरो ने कहा था, ‘तुम मेरे साथ नजदीकियां क्‍यों नहीं बढ़ा रही हो? जब तुम ऑनस्‍क्रीन यह कर सकती हो तो प्राइवेट में ऐसा करने में क्‍या दिक्‍कत है.’ इस सब के चलते मुझे कई प्रोजेक्‍ट्स से हाथ धोने पड़े. दरअसल यह साफ करता है कि हमारे समाज में महिलाएं किन परिस्थितियों से जूझती हैं.’

मल्लिका शेरावत ने अपने इस इंटरव्‍यू में कहा, ‘आदमी अक्‍सर छूट लेने की कोशिश करते हैं. साथ ही हम जिस तरह के किरदार करते हैं उनके लिए हमें जज किया जाता है. अगर आप शॉर्ट स्‍कर्ट पहनती हैं, ऑन स्‍क्रीन Kiss कर लेती हैं तो आप एक गिरी हुई महिला हैं जिसके कोई मूल्‍य नहीं हैं. ऐसे में आदमी अक्‍सर छूट लेने की कोशिश करते हैं.’ उन्‍होंने आगे कहा, ‘मैं किसी तरह के इलाके से आती हूं और मैंने कितना संघर्ष किया इस सब को दरकिनार कर दिया जाता है और बस यही याद किया जाता है कि मैंने स्‍क्रीन पर कितने Kiss किए हैं.’ ‘ख्‍वाहिशें’, ‘अगली और पगली’ और ‘किस किस की किस्‍मत’ जैसी फिल्‍मों में नजर आ चुकी मल्लिका शेरावत ने बताया कि कैसे निर्देशक उन्‍हें अजीब समय पर मिलने बुलाते थे. उन्‍होंने कहा, ‘मैं अपनी सोच में बिलकुल साफ हूं और किसी भी तरह का समझौता नहीं कर सकती. मुझे खुद पर काफी गर्व और आत्‍मविश्‍वास है. एक समय ऐसा भी था जब निर्देशक मुझे सुबह 3 बजे मिलने बुलाते थे. मैं इस सब के बारे में बात करने से काफी डरती थी कि वह इसके लिए मुझी पर दोष लगाएंगे. मुझे लगता था जैसे मैंने ही कुछ ऐसा व्‍यवहार किया है कि डायरेक्‍टर ने मुझसे ऐसी बात की है. हमारे दिमाग में हमेशा पीड़ित पर ही आरोप लगाने की आदत है.’

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