राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता मीराबाई चानू ने12 साल की उम्र में भारोत्तोलन के अपने हुनर का परिचय दे दिया था जब वह अपने बड़े भाई से अधिक लकड़ी आसानी से उठा लेती थी। अब 23 साल की उम्र में उन्होंने गोल्ड कोस्ट में 48 किग्रा में स्नैच, क्लीन एवं जर्क का खेलों का रिकार्ड बनाकर भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया।
इम्फाल से 20 किमी दूर नोंगपोक काकचिग गांव में गरीब परिवार में जन्मी और छह भाई बहनों में सबसे छोटी मीराबाई अपने से चार साल बड़े भाई सैखोम सांतोम्बा मीतेई के साथ पास की पहाड़ी पर लकड़ी बीनने जाती थी। सांतोम्बा ने मीडिया से कहा, ‘एक दिन मैं लकड़ी का गठ्ठर नहीं उठा पाया लेकिन मीरा ने उसे आसानी से उठा दिया और वह उसे लगभग दो किमी दूर हमारे घर तक ले आयी। तब वह 12 साल की थी।’ मीराबाई के स्वर्ण पदक जीतने के बाद उनके घर में पटाखे फूट रहे हैं।
राज्य स्तर के जूनियर फुटबालर रहे सांतोम्बा ने कहा, ‘मैं तब फुटबाल खेलता था और मैंने उसमें कुछ करने का जुनून देखा था। वह हमेशा कुछ हासिल करने के लिये जुनूनी थी। वह कभी दबाव में नहीं आती और शांत चित रहती है।’ उनके परिजन और गांव के लोग सुबह से टीवी पर मीराबाई के खेल का देख रहे थे। सांतोम्बा ने कहा, ‘मेरी मां और पिताजी तब आंसू नहीं थाम पाये थे। कुछ देर के लिये वे निशब्द थे।’
गांव के लोग आये और उनकी मां को पारंपरिक लोकनृत्य थाबल चोंग्बा के साथ जश्न मनाया। उन्होंने एक दूसरे के चेहरे पर रंग लगाया और नृत्य किया। सेना में सिपाही सांतोम्बा की ड्यूटी अभी श्रीनगर में है लेकिन वह अपने पुत्र के अन्नप्रासन समारोह के लिये घर आये हैं।
2010 में दिल्ली में हुए कॉमन वेल्थ गेम्स में नाइजीरिया की ऑगस्टिना नवाकोलो ने इस वर्ग में 175 किलो का वजन उठाकर नया रिकॉर्ड बनाया था। अब चानू ने 196 किलोग्राम का भार उठाकर चानू ने भारत और अपने नाम एक नया कीर्तिमान रच दिया है।
स्नैच राउंड में उन्होंने पहले प्रयास में 80 किलो, दूसरे में 84 और फिर 86 किलो वजन उठाया। क्लीन एंड जर्क राउंड में उन्होंने 103 किलो, फिर 107 और इसके बाद 110 किलो वजन उठाया।