When Sanjay Dutt went to jail, Balasaheb had helped ...
‘संजू’ सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म में संजय दत्त के ड्रग एडिक्शन के साथ 1993 के मुंबई बम धमाकों में उनका नाम आने की कहानी बताई गई है। 12 मार्च 1993 को हुए इन धमाकों के करीब एक महीने बाद 19 अप्रैल, 1993 को मॉरीशस से मुंबई पहुंचे संजय दत्त को एयरपोर्ट से ही गिरफ्तार किया गया था। संजय पर गैरकानूनी तरीके से हथियार रखने के आरोप थे। इसके करीब 18 महीने बाद शिवसेना चीफ बाल ठाकरे ने सुनील दत्त की रिक्वेस्ट पर उनकी मदद की और संजय दत्त जमानत पर जेल से बाहर आ गए। बाहर आने के बाद संजय पिता सुनील दत्त और शत्रुघ्न सिन्हा के साथ ठाकरे से मिलने पहुंचे थे। इस मुलाकात के दौरान ठाकरे के सामने संजय दत्त रो पड़े थे।
सुनील दत्त कांग्रेस के नेता थे। लेकिन जब उनके बेटे संजय दत्त अरेस्ट हुए तो महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक किसी भी कांग्रेसी नेता ने इस मामले में दखल नहीं दिया। सुनील दत्त को खासकर पार्टी के चीफ शरद पवार का विरोध झेलना पड़ा। सुनील दत्त और कांग्रेस के बीच तनाव बढ़ता गया और पार्टी ने उनसे किनारा कर लिया। वे हमेशा से शिवसेना के विरोधी थे। लेकिन बेटे संजय की गिरफ्तारी के बाद आखिर क्यों उन्हें ठाकरे के सामने गुहार लगानी पड़ी? सुनील दत्त ने इस सवाल का जवाब एक इंटरव्यू में दिया था। सुनील दत्त ने कहा था- “बाल ठाकरे मेरे पुराने दोस्त हैं। जब मैं राजनीति में नहीं था, उस जमाने से उनको जानता हूं। वो मेरा सम्मान करते हैं और मैं उनका सम्मान करता हूं। मैं उनसे इसलिए मिला, क्योंकि उस जमाने में महाराष्ट्र में उनकी सरकार थी और वो कहते थे कि सरकार की चाबी उनके पास है। अब जिसके पास चाबी होती है, तो आदमी उसी के पास जा जाएगा न।” बता दें कि उस वक्त महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा के गठबंधन की सरकार थी।
शिवसेना भी कर रही थी संजय दत्त का विरोध
मुंबई बम धमाकों में नाम आने के बाद शिवसेना भी संजय दत्त का विरोध कर रही थी। पार्टी के अखबार ‘सामना’ में संजय दत्त की क्रिमिनल एक्टिविटीज के खिलाफ कैंपेन भी चलाया गया था। लेकिन एक दिन मामले में तब ट्विस्ट आ गया, जब मुंबई के शिवाजी पार्क में पार्टी मीटिंग के दौरान बाल ठाकरे ने कहा- संजय दत्त निर्दोष हैं। यह न केवल भाजपा के लिए सरप्राइज था, बल्कि शिवसेना के कई मेंबर्स के लिए भी किसी झटके से कम नहीं था।
जब संजय दत्त को अरेस्ट कर जेल भेज दिया गया तो सुनील दत्त काफी परेशान हो गए। उन्होंने संजू को रिहा कराने की पूरी कोशिश की। लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली। तब उनके समधी और उस जमाने के फेमस एक्टर राजेंद्र कुमार ने उन्हें बाल ठाकरे से मिलने की सलाह दी। सुनील ने ठाकरे के सामने अपनी व्यथा रखी तो उन्होंने कहा, “ठीक है देखते हैं क्या हो सकता है। लेकिन ये सब मैं तुम्हारे लिए कर रहा हूं, संजय के लिए नहीं।” संजय दत्त की रिहाई के बाद ठाकरे ने उन्हें बुलाकर फटकार लगाई और कहा था कि अब से जो तुम्हारे पिता बोलें, वही करना। संजय जब दोबारा गिरफ्तार हुए तो बाला साहेब ने ही जमानत पर रिहा करवाया। संजय को रिहा कराने के बाद विरोधी बाला साहेब पर जमकर बरसे, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया। जेल से रिहाई के बाद संजय दत्त उनके पिता के साथ सीधे मातोश्री पहुंचे और बाल ठाकरे के गले लगकर फूट-फूट कर रोने लगे थे। जब तक बाल ठाकरे जिंदा रहे तब तक शिवसेना ने संजय दत्त का विरोध नहीं किया।