Saturday, May 3, 2025
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बदलते वक्त ने छीनी वृद्धों की खुशी, बच्चों के साथ समय बिताने व उनके प्यार के लिए तरसते हैं मां-बाप

SI News Today

While changing the time, oldage parents are pitied the happiness of the time spent with the children and the desire for their love.

       

आपको शायद आज भी वो दौर याद होगा जब हमारे घर के बुजुर्ग लोग हमें हर रोज रात को सोने से पहले कहानियां सुनाते थे, अपने जमाने की बातें करते थे और जिंदगी के हर पल को एक साथ मिलकर खुशी-खुशी जीते थे। वहीं आज का दौर देखिये। पहले से अब में काफी बदलाव आए हैं। कभी एक वक़्त था जब लोग अपनों के साथ रहकर उनका खयाल रखते थे। हां वो बात और है कि कुछ लोग आज भी ऐसे हैं जो ऐसे काम करते हैं।

बता दें कि हमारे समाज में  माडर्न लोग हैं जो कि आज के समय में बहुत ही फ्रैंक हो गये हैं। यह गलत भी नही है पर वो अपनी सभ्यता व परंपरा को भूलते जा रहें हैं, जो बहुत गलत है। बच्चा जब छोटा होता है तो माता-पिता उससे प्यार करते हैं और हमेशा अपने बच्चे की खुशी देखते हैं। और जब बच्चा बड़ा हो जाता है तो भी वो मां-बाप अपने बच्चे को कभी भी भूलते हैं और ना उसके प्रति उनका प्यार ही कभी कम होता है।

गौरतलब है कि जो माँ-बाप कल तक खुद भूखे रहकर अपने बच्चों का पेट भरते थे। आज वही बच्चे अपना पेट भरके अपने मां-बाप को भूखे रखते हैं। जिन मां-बाप ने अपने बच्चों को खुलकर पूरी आजादी से जीना सिखाया आज वही busy बच्चे उन्हें घर की चार दीवारियों के बीच या किसी वृद्ध आश्रमों के किसी एक कोने में छोड़ जाते हैं। डराते हैं, धमकाते हैं, ताने मारते हैं और न जाने क्या-क्या वो उनके साथ करते हैं। अब उन बूढ़े व असहाय लोगों को ना तो घर में सुकून मिलता है और ना ही बाहर। समाज के लोग भी उन्हें हर वक्त ताना मारते फिरते हैं कि लुटा दिया सब कुछ बच्चों पर अब तरसो, बड़ा गर्व था अपने बच्चे पर तो झेलो, कल अगर कुछ अपने लिए भी किया होता तो आज ये दिन नही देखना पड़ता कम से कम दो वक्त की रोटी तो नशीब हो जाती। दरअसल आज के वृद्ध खुद को बेहद अकेला महसूस करते हैं। वो पुराने जमाने की बातें जब अपने बच्चों से करना चाहते हैं तो उनके बच्चों के पास इतना पर्याप्त वक़्त ही नहीं होता कि वो अपने माँ-बाप की तरफ थोड़ा ही सही पर ध्यान तो दे सकें। आज के समाज में अक्सर हमारे बुजुर्ग अकेले पाए जाते हैं। या तो वह खुद ही पुरानी आध्यात्मिक किताबों में मशगूल रहते हैं या तो आस्था से जुड़े किसी चैनल को देख कर अपना वक़्त सिर्फ इस इंतजार में काटते हैं कि कब उनके बच्चे घर वापस आएंगे और वह उनसे बैठ कर कुछ पल बातें करेंगे।

दोस्तों कहीं न कहीं इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में हम अपने बुजुर्गों को नज़रअंदाज़ करते जा रहे हैं। ये हमारे लिए वरदान से कम नहीं होते और अक्सर हमें हमारी जड़ों से जुड़कर रहना सिखाते हैं। आप सब भी अपने बुजुर्गों का ख्याल रखें और उनको हमारे आज के इस मॉडर्न समाज से जिसका वो खुद को कहीं न कहीं हिस्सा नहीं मानते हैं, उससे परिचित कराएं। उन्हें ये महशूस कराएं कि वो भी इसी दुनिया का हिस्सा हैं और दोस्तों समय बदलता है लोग बदलते हैं पर मां-बाप अपने बच्चों के लिए कभी नही बदलते। और जब वो नही बदलता उनका प्यार व अपना नही बदलता तो हम क्यों बदलें?  कल को हम और आप भी इसी पड़ाव पर होंगे। इसीलिए अपने से बड़ों का सम्मान करें व कल तक जिन्होंने हमें पाल-पोष कर बड़ा किया और इस काबिल बनाया कि हम उनका खयाल रख सकें उन्हें वो प्यार दे सकें जिसके वो हकदार हैं। तो बिना किसी जिझक के हमें हमारे अपनो के लिए अपनी व्यस्तता से भरी जिंदगी में से ज्यादा नही पर थोड़ा सा ही सही वक्त तो निकालना ही चाहिए।

  • by Shambhavi Ojha
SI News Today

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