क्या आप जानते हैं कि पद्मावती कौन है ? Vol-1
तोते के दिशा निर्देशन में वो अपने 16000 वीर साथियो के साथ सात समंदर पार कर सिंघाल राज्य पहुँच गए। वहाँ उन्होंने भगवन शिव की आराधना कर पद्मावती को अपनी पत्नी के रूप में माँगा। इसी दौरान उस मंदिर में पद्मावती भी आयीं, उस तोते ने राजा को इशारा किया की यही राजकुमारी हैं, मगर रतन सेन से मिले बगैर पद्मा वापिस महल आ गयीं। उन्होंने राजा रतन सेन को देखा और उन्हें पाने की मन में लालसा जग गयी थी।
जब रतन सेन ने सोचा कि उन्होंने राजकुमारी से मिलने का अवसर खो दिया तो वो विरह-वियोग में जलने लगे (यही वो कारण था जब मालिक मुहम्मद जैसी ने पद्मावती की रचना की प्रेणना मिली) इस कारण उन्होंने आत्मदाह करने का संकल्प लिया परन्तु भगवान शिव और माता पार्वती ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। अब रतन सेन ने अपने साथियों के साथ महल पर आक्रमण कर दिया जिसमें उनकी हार हुई और वे अपने साथियों सहित बंदी बनाये गए। राजा गन्धर्व सेन ने उन्हें मृत्युदंड दिया तो रतन सेन के शाही दरबान ने उनकी पहचान जाहिर कर दी। जब राजा गन्धर्व सेन को पता चला की आक्रमण का उद्देश्य सिर्फ राजकुमारी को पत्नी रूप में पाने के लिए किया गया है तो राजा ने प्रसन्नतापूर्वक राजकुमारी पद्मावती का विवाह राजा रतन सेन से कर दिया। साथ ही उनके साथ ए 16000 साथियों के लिए भी 16000 पद्मिन (जिनकी दसों हाथ की उँगलियों में कमल फूल चिन्ह हो उन्हें पद्मिन कहा जाता है) विवाह योग्य लड़कियों से विवाह कराया गया।
इस बात को लेकर कि इस संसार में उनकी पत्नी जैसा कोई सुंदर नहीं रतन सेन को घमंड हो गया। कुछ समय बाद राजा रतन सेन के पास सन्देश आया की उनकी पहली पत्नी नागमती उनके विरह में जल रहीं है। राजा ने वापिस चित्तोड़ जाने का फैसला किया। समुन्द्र के रस्ते जब वे अपनी नयी रानी और अपने 16000 सपत्नीक साथियों के साथ वापिस आ रहे थे तो समुन्द्र के देवता ने उनका ये घमंड तोड़ने के लिए सजा दी और रानी को छोड़के बाकी सबको पानी में डुबा दिया। अब लक्ष्मी जी ने रतन सेन के प्रेम की परीक्षा लेने के लिए पद्मावती का रूप धारण किया। परन्तु राजा ने उनको पहचान लिया। समुन्द्र के देवता और माता लक्ष्मी ने उन दोनों उपहार सम्मान के साथ सुरक्षित तट तक पहुँचाया। राजा पुरी के रास्ते अपने राज्य चित्तौड़ वापिस आ गए।
कुछ समय बाद रानी नागमती और रानी पद्मावती के बिच अनबन पनप गयी। तत्पश्चात किन्ही कारणों से राजा रतन सेन ने अपने एक ब्राह्मण दरबारी राघव चेतन को धोखाधड़ी के आरोप में निर्वसित कर दिया। अपने इस अपमान का बदला लेने के लिए वो सीधा दिल्ली के सुल्तान अल्लाउद्दीन खिलजी के दरबार पहुँच गया और राजा रतन सेन की पत्नी पद्मावती की सुंदरता के बखान करने लगा। अब अल्लाउद्दीन खिलजी के मन में रानी पद्मावती के लिए वासना जाग गयी और वो उन्हें हर कीमत पर पाने के लिए आमादा हो गया। अल्लाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मावती के बदले अपने साम्राज्य में पद सम्मान उपहार आदि का लालच भी राजा रतन सेन को दिया मगर उन्होंने अपने राजपूताना कर्तव्य का निर्वहन करते हुए उसे इंकार कर दिया। इस बात को लेकर अल्लाउद्दीन खिलजी ने चित्तोड़ पर आक्रमण करने का फैसला लिया और राजा को संधि करने छल रचा। छल से राजा रतन सेन को बंदी बनाकर दिल्ली लाया गया। इस युद्ध में चित्तौड़ के पडोसी राज्य कुम्भलनेर के राजा देवपाल ने भी रानी पद्मावती को अपना प्रणय निवेदन एक दूत के जरिये भेजा। जब रतन सेन दिल्ली से वापिस चित्तौड़ वापिस तो देवपाल को अपनी बेइज्जती का बदला लेने का ठाना। इस युद्ध में देवपाल और रतन सेन मरे गए। इस अवसर को देखकर अल्लाउद्दीन खिलजी मन में एक बार फिर रानी पद्मावती को पाने की लालसा जाग गयी और चित्तौड़ पैर पुनः आक्रमण कर दिया। रानी पद्मावती और रानी नागमती ने अपने पति की चिटा पर अपने राज्य और सतीत्व की रक्षा के लिए अपनी 16000 सहेलियों के साथ जौहर कर लिया।
अगले ब्लॉग में जानिए अब आज कल फिल्म पद्मावती के ऊपर हुए विवाद की असलियत ……