निकाह दोपहर दो बजे, और तलाक शाम साढ़े सात बजे! आलिया सिद्दीकी के जीवन के साढ़े पांच घंटे देश में चल रही तीन तलाक की बहस की दिशा तय करने के लिए काफी है। आलिया की आपबीति इस भ्रम को भी तोड़ती है कि तीन तलाक जैसे हथकंडे केवल कम पढ़े-लिखे और दीनी लोगों में ही होते हैं! आलिया एक सशक्त, पढ़ी-लिखी युवती हैं। वे बिजनेस प्रबंधन में स्नातकोत्तर हैं, 52 लड़कियों को रोजगार दे रही हैं। पिछले साल 35 लाख का आयकर रिटर्न भरने वाली आलिया का मकसद किसी भी औरत को तीन तलाक के दलदल में नहीं फंसने देने का है। उनके पूर्व शौहर (अब निलंबित और फरार) नासिर खां सरकारी मुलाजिम (श्रम अधिकारी) के पद पर कार्यरत थे।
786 रुपए की मेहर वाली आलिया और नासिर का लाखों खर्च कर हुआ निकाह, एक चिट्ठी (तलाकनामा) से टूटा। आलिया को डाक के जरिए भेजे तलाकनामा में नासिर ने उन पर हकूक (जिस्मानी संबंध) न बनाने को मुख्य आधार बनाया है। हाल-ए-दास्तान सुनाते फफक पड़ी आलिया ने कहा, ‘होटल में शादी और चार सौ मेहमानों की मौजूदगी के बीच क्या हकूक की फरमाइश उचित है!’ वे कहतीं हैं, ‘मामला हवस और दहेज का था। और धर्म का बेजा इस्तेमाल किया गया। आलिया का दावा है कि उनकी शादीशुदा जिंदगी तलाकनामे में दर्ज साढ़े पांच घंटे से ज्यादा चली है। उनकी सुहागरात हुई। वे ससुराल भी पहुंचीं। लेकिन कहानी कुछ और निकली। तीन तलाक का बेजा इस्तेमाल हवस और दहेज के लिए किया। बकौल आलिया, उनका मामला स्विफ्ट डिजायर और फार्चुनर के बीच फंसा। इच्छा फार्चुनर की थी और आलिया स्विफ्ट डिजायर में विदा होनी थीं। होटल में ही मामला बिगड़ गया। आलिया के पिता का इंतकाल हो चुका है। रिश्तेदारों के समझाने पर नासिर खां उसे विदा करा कर ले जाने पर सहमत हुए। लेकिन घर ले जाने के बजाए दूसरे होटल में ले गए। जहां दोनों ने रात बिताई। लेकिन अगली सुबह नासिर खां ने आलिया को ससुराल की जगह मायके भेज दिया और फिर डाक से तलाकनामा भेज उसपर हकूक न बनाने का इल्जाम लगा दिया।
इस तलाकनामे ने 28 साल की आलिया की जिंदगी का रुख ही बदल दिया। क्योंकि तब तक उसके शौहर का चिट्ठा खुल चुका था। उन्हें पता चल चुका था कि वे अपने पति की तीसरी पत्नी बनी थीं। पहली पत्नी शायदा खान ने तो नासिर पर मुकदमा कर रखा है। एक और पत्नी को नासिर ने अपने नौकरी वाली जगह (बिजनौर) में रखा है। आलिया ने तय किया कि वो तलाकनामा स्वीकार करेंगी और किसी कीमत पर नासिर को नहीं छोड़ेंगी। यहीं से शुरू होती है, तीन तलाक के आगे की दस्तान। आलिया खुद का बुर्का हटाती हैं और नासिर को बेनकाब करने की कसम खाती हैं। राष्ट्रीय महिला मुसलिम संघ की फराहा फैज से मिलती हैं, और फिर शुरू होती है औरतों को बचाने की एक ऐसी जंग जिसका पहला वार होता है आलिया के पति नासिर खान पर। फिलहाल नासिर निलंबित हैं। विभाग से फरार हैं। उनपर बलात्कार का मामला दर्ज हो चुका है। आलिया ने उन्हीं के झूठ को हथियार बना लिया। आलिया कहती हैं-एक तरफ उनके पति दस्तावेजों में कहते हैं कि बीवी ने शादी के तुरंत बाद जिस्मानी संबंध नहीं बनाए। हकूक नहीं माना। लिहाजा तलाक-तलाक-तलाक। लेकिन मेडिकल रपट कहती है कि आलिया सिद्दीकी के साथ नासिर ने सुहागरात मनाई। अगर तलाक दे दिया तो फिर जिस्मानी संबंध हराम था और यह बलात्कार था। इसी आधार पर अपराध के आरोपी बने नासिर खान। आलिया तीन तलाक पर देश को जागने का शुक्रिया करती हैं।
वे कहती हैं, ‘तीन तलाक बंदी का फैसला आया तो उनके लिए यह अल्लाह से इस ईद की ईदी होगी। क्योंकि महिला शोषण का यह हथकंडा खत्म हो जाएगा। कानून का राज होगा। तीन तलाक में औरतें न तो मायके की रह पाती हैं और न ही ससुराल की’। बहरहाल आलिया की सलाहकार वकील फरहा फैज कहती हैं, ‘इस मसले की सारी जडंÞे मौलवी-मौलाना हैं। क्या वो बताएंगें कि जब उसी मुसलिम धर्म में निकाह के समय सारे चरण लागू होते हैं। पहले उद्घोषणा (पति खुद को शादी के लिए खुद को प्रस्तुत करना), रजामंदी ( बीवी की ओर से), आर्बिटेशन (मध्यस्थता की रस्में), कबूलनामा (पति का जिम्मेदारी स्वीकारना) और आखिर में पवित्र बंधन की घोषणा होती है तो विच्छेद के समय इस तरह की प्रक्रिया क्यों नहीं होती? चिट्ठी, फोन, एसएमएस, ट्वीटर व वाट्सऐप पर चंद मिनट में आजादी! इन माध्यमों का शरीयत में जिक्र है क्या? आज के आविष्कार को शरीयत में किसने जोड़ा? इसके खिलाफ जंग में हर मुसलिम महिला को साथ आना चाहिए।
अल्लाह से ईदी होगी तीन तलाक की बंदी
तीन तलाक बंदी का फैसला आया तो उनके लिए यह अल्लाह से इस ईद की ईदी होगी। क्योंकि महिला शोषण का यह हथकंडा खत्म हो जाएगा। कानून का राज होगा। तीन तलाक में औरतें न तो मायके की रह पाती हैं और न ही ससुराल की।