Thursday, December 26, 2024
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दो दर्जन देशों में ही होता है ईवीएम का इस्तेमाल

SI News Today

यह बात थोड़ी हैरान कर सकती है कि दुनिया के विभिन्न लोकतंत्रों में मतदान के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पसंदीदा विकल्प नहीं है और अधिकतर विकासोन्मुखी देश मतपत्रों (बैलट) से चुनाव कराने के पक्षधर हैं। आज केवल दो दर्जन देशों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग का तरीका अपना रखा है और इस मामले में निसंदेह भारत अग्रणी है। साल 2014 में देश की आधी अरब से अधिक आबादी ने ईवीएम से वोट डाला था जो एक विश्व रेकार्ड था। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में देशभर में 9,30,000 मतदान केंद्रों पर कुल 14 लाख ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था। मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने कुछ दिन पहले ऐलान किया था कि भविष्य में सभी चुनाव सत्यापन योग्य मतदान पर्ची (पेपर ट्रेल) का इस्तेमाल करके कराए जाएंगे। उन्होंने कहा था, ‘आयोग भविष्य में सभी संसदीय और राज्य विधानसभा चुनावों में शत प्रतिशत वोटर वेरिफियेबल पेपर आॅडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) का इस्तेमाल सुनिश्चित करेगा। ईवीएम मशीनों की एक प्रतिशत वीवीपीएट पर्चियों की गिनती की जाएगी।’ इससे ईवीएम में छेड़छाड़ की आशंका काफी हद तक दूर हो जाएगी। आज ईवीएम को लेकर गहरी बहस छिड़ी हुई है। कम से कम 24 देशों में किसी प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग या इस तरह की अन्य प्रणाली को अपनाया गया है।

इनमें एस्टोनिया जैसे छोटे देशों से लेकर सबसे पुराना लोकतंत्र अमेरिका तक शामिल है। लेकिन भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है जहां शत प्रतिशत ईवीएम का इस्तेमाल किया जाता है। जर्मनी जैसे कुछ देशों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रणाली अपनाई थी और बाद में मतपत्र प्रणाली पर लौट गए। किसी न किसी प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग अपनाने वाले देशों में आॅस्ट्रेलिया, बेल्जियम, ब्राजील, कनाडा, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, भारत, आयरलैंड, इटली, कजाखस्तान, लिथुआनिया, नीदरलैंड, नॉर्वे, फिलीपीन, रोमानिया, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्विट्जरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, स्कॉटलैंड और वेनेजुएला हैं। अमेरिका 241 साल पुराना लोकतंत्र है लेकिन यहां अब भी कोई एक समान मतदान प्रणाली नहीं है। कई राज्य मतपत्रों का इस्तेमाल करते हैं तो कुछ वोटिंग मशीनों से चुनाव कराते हैं।

आज अमेरिका के सामने एक अलग तरह की चुनौती है जहां इस तरह के आरोप उठे हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप के चुनाव में परोक्ष रूप से रूसी हाथ था जिसमें मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए कई तरह की साइबर हैकिंग की गई। हालांकि चुनावी प्रक्रिया में किसी सीधी छेड़छाड़ का अब तक कोई साक्ष्य नहीं मिला है। अमेरिका में इस्तेमाल की गई कई ईवीएम इंटरनेट से जुड़ी होती हैं। इससे लोगों को घर से मतदान की सुविधा मिल जाती है लेकिन इन उपकरणों में अन्य नेटवर्क वाले उपकरणों की तरह सेंध लगने की आशंका होती है। भारतीय संसद ने 1988 में एक कानून पारित किया था जिसमें ईवीएम के इस्तेमाल को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया गया।

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