दिल्ली की सत्ता में बैठी आम आदमी पार्टी (आप) के लिए एमसीडी चुनावों से पहले बुरी खबर आई है। उपराज्यपाल ने पार्टी से उसका दफ्तर खाली करने को कहा है। खबर है कि उपराज्यपाल अनिल बैजल ने आप के मुख्यालय के लिए जमीन आवंटन को रद्द कर दिया है। उनका यह फैसला वीके शुंगलु कमिटी की रिपोर्ट के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार ने बिना नियमों का पालन किए नीतियां बनाई और फैसले लिए। गौरतलब है कि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है और पुलिस सहित कई विभाग उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। केजरीवाल सरकार ने राउस एवेन्यू में आप के लिए दफ्तर आवंटित किया था।
वहीं राज्यपाल के आदेश के बाद आप नेता संजय सिंह ने भाजपा को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के साथ भेदभाव किया जा रहा है। संजय सिंह ने कहा कि भाजपा को दफ्तर के लिए वह जमीन दे दी जिस पर स्कूल बनाया जाना था। आप के साथ अन्याय किया जा रहा ह। भाजपा को इतनी दुश्मनी नहीं निकालनी चाहिए।
शुंगलु कमिटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन मसलों पर केजरीवाल सरकार को उपराज्यपाल से सलाह लेनी चाहिए थी उन पर राय नहीं ली गई। इसकी रिपोर्ट में दफ्तर के लिए जमीन आवंटन को लेकर भी केजरीवाल सरकार को घेरा गया था। इसमें कहा गया था कि पार्टी दफ्तर बनाने के लिए जमीन आवंटन के फैसले को अवैध माना जाना चाहिए। पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग ने इस कमिटी का गठन किया था। जंग ने पद छोड़ते वक्त कहा था कि अनियमितताओं के चलते केजरीवाल पर आपराधिक केस चल सकता है।
शुंगलू समिति ने सरकार के कुल 440 फैसलों से जुड़ी फाइलों को खंगाला। इनमें से 36 मामलों में फैसले लंबित होने के कारण इनकी फाइलें सरकार को लौटा दी गई थीं। इसके लिए समिति ने सरकार के मुख्य सचिव, विधि एवं वित्त सचिव सहित अन्य अहम विभागीय सचिवों को तलब कर सरकार के इन फैसलों में संबद्ध अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों ने समिति को बताया कि उन्होंने इस बाबत सरकार को अधिकार क्षेत्र के अतिक्रमण के बारे में समय समय पर आगाह किया था।