कश्मीर में उपचुनाव के दौरान जीप पर युवक को बांधने का मामला शांत नहीं हो रहा। सरकार से इस काम के लिए मेजर लीतुल गोगोई को नवाजे जाने पर हुर्रियत नेता मीरवेज उमर फारूख ने सरकार के फैसले को गलत बताया था। इस पर उन्हें रिटायर्ड मेजर जनरल और डिफेंस एक्सपर्ट आरके अरोड़ा ने करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि हुर्रियत लोगों को गुमराह करने का काम करती है। वह नहीं चाहती कि कश्मीरियों के बच्चे पढ़ें-लिखें।
बुधवार को एक अंग्रेजी चैनल पर मीरवेज के बयान को लेकर बहस हो रही थी। पैनल हुर्रियत नेता और डिफेंस एक्सपर्ट मौजूद थे। यहां एक हुर्रियत नेता मीरवैज के बयान का समर्थन कर रहे थे। वह मेजर गोगोई के सम्मान पर भी सवाल उठा रहे थे। उनका कहना था कि सरकार को इस पर मामला दर्ज करना चाहिए। यह लोकतंत्र के लिए शर्म की बात है।
बता दें कि मीरवैज उमर फारूख ने इससे पहले कहा था कि कश्मीर में एक मासूम नागरिक को जीप पर बांधकर 10 घंटों तक घुमाया गया। सरकार ने मामला दर्ज करने के बजाय उस मेजर को पुरस्कार से नवाजा है। शर्म आती है। ऐसे लोकतंत्र पर शर्म आती है।
डिबेट में जवाब देते हुए डिफेंस एक्सपर्ट रिटायर्ड मेजर जनरल आरके अरोड़ा ने बताया कि आप कश्मीर के हालात देखें। घटना के दौरान वहां पर किसी प्रकार की फायरिंग नहीं हुई थी। किसी की जान नहीं गई। हुर्रियत का काम सिर्फ लोगों को गुमराह करना है। हुर्रियत नेताओं के बच्चे तो विदेश में पढ़ते हैं, लेकिन वे नहीं चाहते कि कश्मीरियों के बच्चे बाहर जाएं और तरक्की करें।
जम्मू-कश्मीर में उपचुनाव के दौरान पत्थरबाजी रोकने के लिए स्थानीय नागरिक को ‘मानव ढाल’ की तरह इस्तेमाल करने वाले सेना के मेजर लीतुल गोगोई को सम्मानित किया गया था। आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने खुद मेजर की सूझबूझ की सराहना की थी। केंद्र सरकार ने भी मेजर के ‘प्रजेंस ऑफ माइंड’ की तारीफ की थी। उधर, सोशल मीडिया पर मेजर गोगोई की इस कार्रवाई के पक्ष और विपक्ष में तमाम आवाजें उठती सामने आई हैं।