कश्मीर के युवा उग्रवादियों में 15 साल के किशोर से लेकर बीटेक, बीई, एमफिल कर चुके नौजवान शामिल हैं। एक उग्रवादी तो पीएचडी भी है। घाटी में हिज्बुल मुजाहिद्दान के कमांडर बुरहान वानी के पिछले साल जुलाई में एक मुठभेड़ में मारे जाने के बाद से कश्मीर में कम से कम 67 नौजवान उग्रवादी बन चुके हैं। इनमें से 50 युवा दक्षिणी कश्मीर के रहने वाले हैं जहां का बुरहान था। भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों के अनुसार इन 67 नए उग्रवादियों में से 63 की उम्र 30 साल से कम है। इनमें दो उग्रवादियों की उम्र 15 और 16 साल है।
इन 67 उग्रवादियों में केवल तीन ऐसे हैं जो जेल से लौटने के बाद दोबारा उग्रवाद की राह पर चल पड़े। आंकड़ों के अनुसार दक्षिणी कश्मीर में नौ उग्रवादी पुलवामा जिले, नौ अवंतीपुरा और त्राल, 13 कुलगाम, 11 शोपियां, आठ अनंतनाग के रहने वाले हैं। उत्तरी कश्मीर में आठ युवा पिछले एक साल में उग्रवादी बने हैं। इनमें से दो कुपवाड़ा, एक हंदवाड़ा, तीन बांदीपुरा और दो सोपोर से हैं। मध्य कश्मीर के पांच नौजवान पिछले एक साल में उग्रवादी बने हैं। इनमें से तीन बडगाम से और दो श्रीनगर से हैं।
सुरक्षा बलों के अनुसार इन नए उग्रवादियों में से 47 हिज्बुल मुजाहिद्दीन से जुड़े हैं। 18 लश्कर-ए-तैयबा से। दो उग्रवादियों के संगठन के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इन नए उग्रवादियों में से 10 की अलग-अलग मुठभेड़ में मौत हो चुकी है। चार को गिरफ्तार किया जा चुका है। इन नए उग्रवादियों में एक पीएचडी, एक एमफिल, दो पोस्ट-ग्रेजुएट, छह ग्रेजुएट और पांच इंजीनियरिंग या टेक्निकल कोर्सों के छात्र रहे हैं। इनमें से दो बीटेक, एक बीई (कम्प्यूटर साइंस), एक पॉलिटेक्निक और एक कम्प्यूटर साइंस में डिप्लोमा का छात्र था।
उग्रवादी बनने वाले आठ नौजवान स्नातक की पढ़ाई कर रहे थे। 10 ने 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की है। 12 दसवीं पास हैं। तीन मदरसे से पढ़े हैं जिनमें से एक हाफिज/इमाम भी है। नए उग्रवादियों में केवल तीन ही ऐसे हैं जिन्हें कभी कोई स्कूली शिक्षा नहीं मिली। नए उग्रवादियों में 27 वर्षीय अजहर-उद-दीन खान अरबी भाषा एवं साहित्य में पीएचडी था। अजहर चार फरवरी 2017 को सोपोर में हुए एक मुठभेड़ में मारा गया। अजहर उग्रवादी बनने से पहले जमात-ए-तुलबा (जमात की छात्र इकाई) का सदस्य था।
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार 29 वर्षीय सबजार अहमद सोफी के पास एमफिल की डिग्री है। 25 वर्षीय मोहम्मद यूनिस के पास समाजशास्त्र और इस्लामिक अध्ययन दोनों में एमए की डिग्री है। वो फरवरी 2017 में हिज्बुल में शामिल हुआ और एक महीने के अंदर मुठभेड़ में मारा गया। उग्रवाद पर चले गए नौजवानों में सबसे कम उम्र 15 वर्षीय सजद अहमद वानी है जो पिछले साल नौवीं की पढ़ाई छोड़कर उग्रवादी बन गया। इनमें सबसे उम्रदराज 36 वर्षीय बिलाल अहमद मोहंद है जो दिहाड़ी मजदूर था। बिलाल पिछले साल अक्टूबर में हिज्बुल में शामिल हो गया।