नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के शपथ ग्रहण की तैयारियां पूरी हो चुकी है। मंगलवार 25 जुलाई को दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर संसद सेन्ट्रल हॉल में उनका शपथ ग्रहण समारोह होगा। लेकिन सेन्ट्रल हॉल में बैठने के लिए जगह की कमी सरकार के लिए चिंता का विषय बन गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रामनाथ कोविंद के शपथ ग्रहण समारोह को मेगा इवेंट बनाना चाहते हैं। केन्द्र सरकार की ओर से जारी एक संदेश में कहा कि शपथ ग्रहण समारोह में सभी राज्यों के राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों को न्योता दिया गया है। इसके अलावा सांसदों केन्द्रीय मंत्रियों और दूसरे वीआईपी को भी इस कार्यक्रम में बुलाया गया है। इस वजह से सेंट्रल हॉल में जगह की कमी पड़ गई है। इस वजह से सरकार ने निमंत्रण पत्र में लिखा है कि आंगतुक अपने साथ अपने पति या पत्नी को लेकर ना आएं। हालांकि नियंत्रण पत्र में ये भी लिखा है कि सरकार ऐसा पूर्व में चल रही प्रथा के मुताबिक कर रही है, इसके अलावा सेन्ट्रल हॉल में जगह की भी कमी है।
अंग्रेजी वेबसाइट इंडियासंवाद डॉट को डॉट इन के मुताबिक के मुताबिक शपथग्रहण में इतने बड़े पैमाने पर आंगुतकों को बुलाने का फैसला कुछ ही दिन पहले लिया गया। इसलिए सरकार ने ये तय किया इतने कम समय में सभी राज्यों तक निमंत्रण पत्र भेजना संभव नहीं हो पाएगा, इसलिए सरकार ने दिल्ली में बैठे सभी राज्यों के रेजिडेंट कमिश्नर को निमंत्रण पत्र सौंपने का फैसला किया।
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बता दें कि राष्ट्रपति के शपथग्रहण का कार्यक्रम एक प्रोटोकॉल के तहत किया जाता है। इसके मुताबिक शपथ ग्रहण के दिन सुबह सुबह भावी राष्ट्रपति पहले राष्ट्रपति भवन पहुंचते हैं, इस दौरान राष्ट्रपति के सचिव उन्हें एस्कॉर्ट करते हैं। वहां भावी राष्ट्रपति और वर्तमान राष्ट्रपति अपने काफिले के साथ संसद भवन पहुंचते हैं, इस दौरान पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान राष्ट्रपति एक कार में ही सफर करते हैं। संसद में दोनों सदनों के प्रजाइडिंग ऑफिसर यानी की लोकसभा के स्पीकर और राज्यसभा के उपराष्ट्रपति उन्हें एस्कॉर्ट करते हैं और उन्हें सेन्ट्रल हॉल ले जाते हैं। इसके बाद शपथ ग्रहण की प्रक्रिया शुरू होती है।