पंजाब विधानसभा चुनावों के शुरुआती रुझानों में कांग्रेस पार्टी बड़ी जीत की और बढ़ती दिख रही है. पार्टी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और सीएम प्रत्याशी कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और पूरी बागडोर उनके हाथ में सौंपी. आपको बताते हैं कि पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की जीत के क्या पांच बड़े कारण रहे .
1. सीएम का चेहराः पंजाब की जनता के सामने सीएम के रूप में सबसे भरोसेमंद और अनुभवी चेहरा कैप्टन बनें. क्योंकि पंजाब में लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने वाली आम आदमी पार्टी ने कोई चेहरा पंजाब की जनता के सामने नहीं रखा और अकाली-बीजेपी ने वापस प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व में चुनाव लड़ा. जनता जानती थी यदि इस बार भी अकाली-बीजेपी की सरकार बनी तो प्रकाश सिंह जगह उनके बेटे सुखबीर बादल सीएम बन सकते है इससे ज्यादा कुछ नहीं. अकालियों और आप नेताओं के सामने कैप्टन को सीएम फेस बनाकर कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला था.
2. मजबूत विकल्पः कैप्टन के नाम और कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव 2014 में जब पूरे देश में मोदी लहर चली उस समय में कैप्टन ने पंजाब की अमृतसर सीट से बीजेपी के वरिष्ठ नेता और वर्तमान वित्त मंत्री अरुण जेटली को हराया था. क्योंकि आम आदमी पार्टी के पास पंजाब का कोई भी सीएम फेस नहीं था तो इसका लाभ कांग्रेस को मिला.पंजाब में पिछले 10 साल से काबिज अकाली-बीजेपी गठबंधन से लड़ने के लिए इस पार्टी ने अपने सबसे मजबूत नेता को कमान सौंपी और अकाली के सामने कैप्टन के रूप में एक मजबूत विकल्प जनता के बीच गया जिसपर जनता भरोसा भी किया.
3. सत्ता विरोधी लहरः पंजाब में सत्ता विरोधी लहर का सही समय और सही तरीके से किसी ने लाभ उठाया तो वो कैप्टन अमरिंदर सिंह कैप्टन एसवाईएल(सतलुज यमुना लिंक नहर), नशे का कारोबार, बादल परिवार के भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता के बीच गए और मुद्दों को लेकर तीखे तरीके से अपना विरोध जाहिर किया. एसवाईएल के मुद्दे पर तो कैप्टन ने अपने विधायकों समेत विधानसभा से इस्तीफा तक दे दिया. पंजाब में अकालियों से तंग आ चुकी जनता को यदि किसी ने सबसे ज्यादा अपनी ओर खींचा तो वो कैप्टन रहे.
4. समय से पहले की गई तैयारीः कांग्रेस पार्टी द्वारा सीएम कैंडिडेट घोषित करने से कैप्टन को अपने हिसाब से रणनीति बनने और जनता के बीच जाकर लोगों से संवाद करने का सही मौका मिला. कैप्टन ने अपना भरोसा देते हुए जनता से वोट मांगे. ये कहना गलत नहीं होगा कि जनता ने वोट कांग्रेस को नहीं, कैप्टन को देखकर दिया. पटियाला राजघराने से ताल्लुक रखने वाले कैप्टन पंजाब की जनता के बीच महाराजा के नाम से मशहूर हैं. कैप्टन पर पंजाब की जनता ने इतना विश्वास किया कि लोकसभा चुनावों में उम्दा प्रदर्शन करने वाली आम आदमी पार्टी कैप्टन के तेज से कहीं पीछे रह गई. कैप्टन के नेतृत्व में कई पार्टियों के नेताओं को कांग्रेस में शामिल किया गया और उन्हें टिकट भी दिया गया. नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी इसमें प्रमुख है.
5. AAP की खराब छविः कैप्टन की जीत में सबसे अहम भूमिका यदि अकाली-बीजेपी गठबंधन के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर रही तो एक अहम कारण आम आदमी पार्टी की खराब छवि भी रही. यदि पंजाब के विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव या दिल्ली विधानसभा चुनावों के तुरंत बाद होते शायद आम आदमी पार्टी को पंजाब में सत्ता विरोधी लहर का फायदा मिलता. लेकिन दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी के नेताओं का सैक्स स्कैंडल, फर्जी डिग्री और दहेज प्रताड़ना में पकड़े जाना. दिल्ली में एमसीडी हड़ताल के दौरान सड़कों पर गंदगी चुनावी वायदों को पूरा न करना, पंजाब में आप के बड़े नेता सुच्चा सिंह को पार्टी से निकालना, पंजाब में पार्टी के बड़े नेता व सांसद भगवंत मान का संसद का वीडियो बनाना, आप पंजाब में प्रत्याशियों से पैसे लेकर टिकट देने जैसे आरोपों ने पिछले एक साल के भीतर आप का ग्राफ नीचे गिरा दिया. जिसका लाभ कैप्टन अमरिंदर सिंह को मिला.