Tuesday, December 3, 2024
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गंगाजल साथ रखने को इस राजा ने बनवा दिए थे दुनिया के सबसे बड़े चांदी के बर्तन, जानिए..

SI News Today

हिंदू धर्म ही नहीं बल्कि दुनिया में बाकी धर्मों में भी गंगा जल के बारे में अपनी-अपनी मान्यताएं हैं। गंगा जल को अमृत के बराबर भी माना जाता है। आज भी हरिद्वार के गंगाजल को लेने के लिए देश दुनिया से श्रद्धालु पहुंचते है। माना जाता है कि युगों पहले भागीरथ जी गंगा की धारा को पृथ्वी पर लाए थे, भागीरथ जी गंगा की धरा को हिमालय के जिस रास्ते से लेकर मैदान में आए थे वह रास्ता दिव्य औषधियों व वनस्पतियों से भरा हुआ है। भारतीय सभ्यता में गंगा को सबसे पवित्र नदी माना जाता है। गंगा नदी के पानी में विशेष गुण की वजह से ही गंगा नदी में नहाने के लिए भारत के कौने-कौने से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं। वैसे तो गंगा और गंगाजल से जुड़ी कई बाते हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसे राजा के बारे में बता रहे हैं जिसे गंगाजल से इतना लगाव था कि वह हमेशा गंगाजल को अपने आस-पास ही रखता था। यहां तक कि उस राजा ने गंगाजल को अपने पास रखने के लिए जो किया वो दुनिया का वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया। आइए बताते हैं एक राजा और गंगाजल से जुड़ा वह रोचक किस्सा।

हमने आपको अभी गंगा और गंगाजल से जुड़ी आस्था, मान्यताओं के बारे में बताया। लेकिन इसके साथ ही हम आपको ऐसे राजा के बारे में बता रहे हैं जिसे गंगाजल में आस्था और उसका सम्मान इतना था कि वह हमेशा गंगाजल को अपने पास रखता था। यहां तक कि इस राजा ने अपनी पूरी जिंदगी में सिर्फ गंगाजल ही पिया था, किसी और तरह का पानी नहीं पिया था। हम बात कर रहे हैं जयपुर के राजा महाराज सवाई माधो सिंह द्वितीय की। महाराजा माधो सिंह को लोग कभी-कभी उनकी मान्यताओं और कल्पानाओं की वजह से सनकी भी कहते थे। माधो सिंह का गंगाजल से लगाव भी उन्हीं मान्यताओं में से एक थी।

एक बार की बात है जयपुर के महाराजा सवाई माधो सिंह द्वितीय को ब्रिटेन जाना था। लेकिन महाराज इस ट्रिप पर अपने साथ गंगाजल को भी साथ ले जाना चाहते थे। राजा ने अपने राज्य के एक शिल्पकार को दो ऐसे चांदी के बर्तन बनाने के लिए कहा जिसमें गंगाजल को ब्रिटेन के ट्रिप पर ले जा सकें। करीब 14000 चांदी के सिक्के पिघला दो बर्तन तैयार किए गए। जिनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में हमेशा के लिए दर्ज हो गया। क्योंकि ये दो चांदी के बर्तन दुनिया के सबसे बड़े चांदी के बर्तन थे।

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