भारत के गृह मंत्रालय ने अपने सभी विभागों और सुरक्षा एजेंसियों को लिखित आदेश दिया है किसी भी लिखित पत्राचार में बुरहान वानी का नाम न लिखा जाए बल्कि उसे “मुठभेड़ में मारा गया आतंकवादी” लिखा जाए। आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन कमांडर बुरहान वानी पिछले साल आठ जुलाई को मुठभेड़ में मारा गया था। बुरहान की मौत के बाद से ही घाटी में हिंसा का दौर जारी है। पिछले एक साल में विभिन्न हिंसक प्रदर्शनों में 90 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
सूत्रों के अनुसार गृह मंत्रालय से पत्राचार में बुरहान को “दो अन्य के साथ मुठभेड़ में मारा गया आतंकवादी” के रूप में इंगित किया जाएगा। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “भविष्य में उस घटना को आठ जुलाई को तीन उग्रवादियों से हुई मुठभेड़ के रूप में दर्ज किया जाएगा।” अधिकारी के अनुसार ये फैसला पाकिस्तान, कश्मीर, अंतरराष्ट्रीय मंचों यहां तक की संयुक्त राष्ट्र में भी वानी के “महिमामंडन” को देखते हुए लिया गया है।
गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार वानी की मौत के बाद घाटी में 88 नौजवानों ने उग्रवाद का रास्ता अपना लिया। बुरहान वानी सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय था। वो हथियारों के साथ फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करता रहता था। गृह मंत्रालय ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि लोक सभा या राज्य सभा के जवाब में भी वानी के नाम का प्रयोग न किया जाए। बुरहान के अलावा हिज्बुल मुजाहिद्दीन का नाम भी किसी आधिकारिक पत्राचार या सूचना में न किया जाए। मंत्रालय ने आरटीआई के तहत पूछे गए सवालों के जवाब में भी इन नामों का प्रयोग न करने का आदेश दिया है।
सूत्रों के अनुसार गृह मंत्रालय को अंदेशा है कि बुरहान वानी के मारे जाने के एक साल पूरे होने पर घाटी एवं अन्य जगहों पर कश्मीरी अलगाववादी विभिन्न तरह के आयोजन कर सकते हैं। इसीलिए केंद्र सरकार अभी से उसके लिए तैयारी कर रही है। बुरहान की मौत के बाद घाटी में हिंसा बढ़न के साथ ही आंतकवादी हमलों में भी बढ़ोतरी हई है।