25 दिसंबर को हर साल क्रिसमस डे के रुप में मनाया जाता है। इस साल भी ढेर सारी खुशियों और सेलिब्रेशन को लेकर क्रिसमस का त्योहार आ गया है। ईसाई समुदाय की मान्यता के अनुसार क्रिसमस से रौशनी का आरंभ होता है। इस दिन को यीशू मसीह के जन्मदिवस के रुप में मनाया जाता है। इस उत्सव पर अपने प्रियजनों को गिफ्ट्स देना, चर्च में आयोजन और सजावट करना शामिल होता है। क्रिसमस की पूर्व संध्या यानि 24 दिसंबर की शाम को ही इस पर्व का उल्लास अपने चरम पर पहुंच जाता है। इसी के साथ इस दिन पेड़ सजाने की परंपरा है और गिफ्ट्स, लाइट आदि से सजे हुए पेड़ को क्रिसमस ट्री के नाम से जाना जाता है।
बाईबल की वर्स 9:2 में लिखा है कि जो लोग अंधेरे में चल रहे हैं उन्हें एक दिन ग्रेट लाइट मिलेगी। मतलब- जो लोग अंधेरी जमीन पर रहते हैं उनके ऊपर प्रभु की रौशनी जरुर पड़ेगी। माना जाता है कि यीशू धरती पर शांति की स्थापना के लिए आए थे और वो लोगों की जिंदगी को रौशन करते थे। जीसस का जन्म भविष्यवाणी करने के लिए नहीं बल्कि एक युग को प्रकाशित करने के लिए हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि देवदूतों ने आकर लोगों को बताया था कि ये बच्चा (यीशु) पालनहार है जो सभी के दुख हरने के लिए आया है।
क्रिसमस का त्योहार पूरे विश्व में लोग धूमधाम से मनाते हैं। ईसाई समुदाय के साथ गैर ईसाई समुदाय के लोग भी इस दिन इकठ्ठे होते हैं और एक दूसरे को गिफ्ट्स देते हैं। भारत में पाइन के पेड़ों की जगह लोग आम और केले के पेड़ों को सजाते हैं। बच्चे इस दिन गिफ्ट्स पाने के लिए बहुत ही उत्सुक रहते हैं। क्रिसमस के दिन बच्चों में सांता क्लॉज को लेकर उत्सुकता रहती है। सांता निकोलस को सांता क्लॉज के नाम से जाना जाता है। इनका जन्म ईसा मसीह की मृत्यु के लगभग 280 साल बाद मायरा नामक जगह पर हुआ था। उन्हें लोगों की मदद करना और सेवा करना बेहद पसंद था, वो यीशू के कदमों पर चलते थे। इसी कारण वो यीशू के जन्मदिन पर रात के अंधेरे में बच्चों को गिफ्ट दिया करते थे।