सरकार ने शनिवार को स्पष्ट किया कि एक जुलाई से आयकर रिटर्न दाखिल करने और स्थायी खाता संख्या (पैन) हासिल करने के लिए आधार और पैन को आपस में जोड़ना ‘अनिवार्य’ होगा। सरकार की तरफ से यह स्पष्टीकरण सुप्रीम कोर्ट के इस संबंध में दिए एक फैसले के एक दिन बाद आया है। शीर्ष अदालत ने आयकर अधिनियम में किए गए उस प्रावधान को वैध माना है जिसमें पैन कार्ड आबंटन और आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आधार को अनिवार्य किया गया है। लेकिन निजता के अधिकार से जुड़े मामले पर संवैधानिक पीठ का फैसला आने तक इसके क्रियान्वयन पर आंशिक स्थगन लगा दिया।
आयकर विभाग की नीति निर्माता संस्था केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने शनिवार को एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार के अपने फैसले में केवल उन लोगों को आंशिक राहत दी है जिनके पास आधार नंबर नहीं है या जिन्होंने आधार में पंजीकरण नहीं कराया है, ऐसे में कर अधिकारी उन लोगों के पैन को निरस्त नहीं करेंगे। सीबीडीटी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में तीन बिंदुओं का स्पष्टीकरण जारी किया है। करदाताओं में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से किसी तरह की आशंका को दूर करने के लिए यह स्पष्टीकरण दिया गया।
एक जुलाई 2017 से प्रत्येक व्यक्ति जो आधार पाने का पात्र है उसके लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने या फिर पैन के लिए आवेदन करने में अपने आधार नंबर का उल्लेख या आधार पंजीकरण संबंधी पहचान नंबर का उल्लेख करना अनिवार्य होगा। सीबीडीटी ने कहा है, ‘एक जुलाई 2017 को जिस भी व्यक्ति को पैन नंबर आबंटित किया गया है और जिस भी व्यक्ति के पास आधार नंबर है या फिर वह आधार नंबर लेने का पात्र है, उसे पैन के साथ आधार नंबर जोड़ने के लिए अपना आधार नंबर आयकर प्रशासन को बताना होगा।’विभाग ने इस बारे में भी स्पष्टीकरण दिया है कि यदि किसी व्यक्ति के पास आधार नंबर नहीं है या आधार नंबर का उल्लेख नहीं किया जाता है तो उसका क्या होगा। विभाग ने इस बाबत कहा कि इस मामले में शीर्ष अदालत ने केवल आंशिक राहत दी है। यह राहत उन लोगों को दी गई है जिनके पास आधार नहीं है या जो फिलहाल आधार नहीं लेना चाह रहे हैं। ऐसे लोगों के मामले में पैन नंबर निरस्त नहीं किया जाएगा ताकि आयकर अधिनियम के तहत पैन नंबर का उल्लेख नहीं करने संबंधी दूसरे नियमों का खमियाजा उन्हें नहीं भुगतना पड़े।
एक वरिष्ठ आयकर अधिकारी ने बताया यदि पैन को निरस्त कर दिया जाता है तो संबंधित व्यक्ति अपने सामान्य बैंकिंग और वित्तीय परिचालन नहीं कर पाएगा, इसलिए यह राहत दी गई है। लेकिन यह स्पष्ट किया गया है कि एक जुलाई से आयकर रिटर्न दाखिल करने और अगर नया पैन बनाना है तो आधार का उल्लेख करना अनिवार्य होगा। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले का कानून मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, सीबीडीटी और आयकर विभाग के अधिकारियों ने अध्ययन किया है और उसके बाद ही यह स्पष्टीकरण जारी किया गया है। सरकार ने वित्त अधिनियम 2017 के तहत करदाताओं के लिए आधार नंबर या आधार पंजीकरण आवेदन संख्या का आयकर रिटर्न दाखिल करते समय उल्लेख अनिवार्य कर दिया। इसके साथ ही एक जुलाई 2017 से पैन के लिए आवेदन करने में भी आधार का उल्लेख अनिवार्य कर दिया गया है। आयकर विभाग अब तक 1.16 करोड़ आधार नंबरों को पैन के साथ जोड़ चुका है।