Sunday, December 29, 2024
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दुर्गा मां की भक्ति ही नहीं मन की शांति भी देता है नवरात्रि का उपवास, जानिए…

SI News Today

नवरात्र हिन्दुओं का ऐसा पर्व है जिसमें मां दुर्गा का पूजन किया जाता है। नवरात्र का अर्थ है नौ रातों का समूह, जिसमें मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में हर कोई अपने-अपने तरीके से माता की आराधना करता है लेकिन उद्देश्य केवल एक होता है माता की कृपा प्राप्त करना। कृपा प्राप्त करने का अर्थ हमेशा समृधि से ही नहीं होता है। इस पर्व में लोग नौ दिन उपवास करते हैं। ये उपवास मां की भक्ति के लिए तो होता ही है साथ ही ये हमारे तन-मन की शान्ति के लिए भी होता है। मन की शान्ति की जरुरत इसलिए पड़ती है जब व्यक्ति अधिक चीजों का भार अपने सिर ले लेता है और उसे उनसे निकलने का रास्ता नहीं दिखता है। कई बार कुछ लोग अपने लिए परेशानियां खुद बनाते हैं। नवरात्रि ऐसा पर्व हैं जहां सभी परेशानियों का समाधान किसी ना किसी रुप में जरुर प्राप्त हो ही जाता है।

मन की अशांति के क्या हैं कारण-
जिद्दी स्वभाव- जब लोग बहुत ज्यादा जिद्दी होते हैं और किसी की बात उन्हें सुनना नहीं पसंद होता है तब उनपर कुछ भी हो जाए किसी बात का असर नहीं पड़ता है। उन्हें जितना भी समझाया जाए उन्हें कुछ समझ नहीं आता है। इस स्वभाव के लोगों का मन शांत नहीं होता है।

सही गलत के बीच फैसला- जो लोग अपने निर्णयों के बीच सही गलत का फैसला नहीं कर पाते हैं उनके मन में हमेशा अशांति बनी रहती है। ऐसे लोगों का मस्तिष्क कमजोर होता है।

भावनात्मक- जो लोग अपने निर्णयों को लेकर बहुत भावुक होते हैं, उनके साथ मन की अशांति वाली समस्या अधिक होती है।

महत्वकांक्षी- जिन लोगों में अपने जीवन में बहुत कुछ पा लेने की इच्छा होती है वो लोग बहुत ही महत्वकांक्षी होते हैं। इसी के बीच वो बहुत ही अव्यवहारिक हो जाते हैं। ये अव्यवहारिकता उनके जीवन में बहुत कठिनाइयां ला देती है। जब उन्हें किसी की आवश्यकता होती है तब उनके पास कोई नहीं होता है और वो अशांत हो जाते हैं।

नकारात्मक सोच- ऐसे लोग जिन्हें हर चीज में बुराई ही दिखती है वो हर वस्तु में खोट देखना शुरू कर देते हैं। ऐसे लोग दूसरों के सुख से भी दुखी रहते हैं। उनकी अशांति को समाप्त करना कठिन हो जाता है।

मन की अशांति खत्म करने का उपाय-
मन की अशांति दूर करने का सबसे बेहतरीन उपाय उपवास करना है। नवरात्रि में ही उपवास का एक बेहतरीन अवसर प्राप्त होता है। उपवास में कम भोजन लिया जाता है। शरीर पर संयम पाया जाता है। अधिक भोजन करने वालों को शारीरिक समस्याओं से तो जूझना पड़ता है साथ ही उन्हें मानसिक तनाव से भी गुजरना पड़ सकता है। जिन लोगों का जीवन में लक्ष्य स्पष्ट हो जाता है वो कभी अशांत नहीं होते हैं और अपने आस-पास भी एक अच्छा वातावरण बनाए रखते हैं। नवरात्रि के दौरान मां भी आपकी सहायता करती हैं और हर समस्या से बाहर निकालती हैं।

मन शांत करने वाला मंत्र-
सर्वमंगल मांगल्ये, शिवे सर्वाधसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमस्तु ते।।

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