पांच नदियों का संगम उत्तर प्रदेश में इटावा जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर बिठौली गांव में है। यह वह जगह है जो सबसे बेहतरीन पर्यटन स्थल बन सकती है। अभी तक उपेक्षित पंचनदा की तकदीर लगता है पलटने वाली है। अगर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती की बात को मानें तो पंचनदा की तस्वीर बदलने की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिलचस्पी ली है। प्रधानमंत्री की सक्रियता का ही परिणाम दिखाई दिया कि उमा भारती केंद्रीय अफसरों के दल के साथ पंचनदा का हवाई सर्वे भी कर चुकी हैं। वैसे पचंनद पर बांध निर्माण की सबसे पहली योजना 1986 में बनी थी लेकिन हकीकत में इस पर कोई प्रगति नहीं हो सकी। पंचनदा को पर्यटन केंद्र के रूप मे स्थापित कराने की दिशा में इटावा के सांसद अशोक दोहरे ने दिलचस्पी दिखाई है।
उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी अनसूचित जाति जनजाति प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष विकास कुमार पंचनदा को पर्यटक स्थल बनाने की मांग करते हुए कहते हैं कि इस इलाके का वैसे तो बहुत ही महत्व है लेकिन खूंखार दस्युओं के कारण अभी तक सरकारों की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया है। इसी वजह से इस दुर्गम इलाके के लोग मूल विकास से अब तब वंचित रहे हैं।
800 ईसा पूर्व पंचनदा संगम पर बने महाकालेश्वर मंदिर पर साधु-संतों का जमावड़ा लगा रहता है। मन में आस्था लिए लाखों श्रद्धालु कालेश्वर के दर्शन से पहले संगम में डुबकी अवश्य लगाते हैं। यह देव शनि हैं जहां भगवान विष्णु ने महेश्वरी की पूजा कर सुदर्शन चक्र हासिल किया था। इस देव शनि पर पांडु पुत्रों को कालेश्वर ने प्रकट होकर दर्शन दिए थे। इसलिए हरिद्वार, बनारस, इलाहाबाद को छोड़कर पंचनदा पर कालेश्वर के दर्शन के लिए साधु-संतों की भीड़ जुटती है।
इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इतने पावन स्थान को यदि उस प्रकार से लोकप्रियता हासिल नहीं हुई जिस प्रकार से अन्य तीर्थस्थलियों को ख्याति मिली तो इसके लिए यहां का भौगोलिक क्षेत्र कसूरवार है। पंचनद के एक प्राचीन मंदिर को बाबा मुकुंदवन की तपस्थली भी माना जाता है। कहें कुछ भी पर पंचनदा को सरसव्य बनाने को लेकर आजादी के बाद लगातार बेरुखी ही दिखाई दे रही है। अगर हकीकत में पंचनदा को विकसित करने की दिशा में सरकारों की ओर से कोई ठोस कार्ययोजना प्रस्तावित की जाए तो पंचनदा के बहाने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के दुर्गम इलाकों का भी विकास होगा। साथ ही, पंचनदा की तस्वीर भी अपने आप में बेहतर दिखाई देगी।
पांच नदियों का संगम स्थल पंचनदा
चकरनगर की ब्लाक प्रमुख प्रभा राजावत बताती हैं कि पांच नदियों के दुर्लभ स्थल का वैसे तो अपने आप में खासा महत्व है लेकिन अगर उत्तर प्रदेश सरकार पंचनदा को पर्यटन केंद्र के तौर पर स्थापित कराती है तो इससे बेहतर कोई दूसरी बात नहीं हो सकती है क्योंकि यह इलाका एक अरसे से डाकुओं के प्रभाव के कारण विकास से वंचित रहा है।
यहां पर कार्तिक पूर्णिमा पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के लाखों श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है। सारे विश्व में इटावा का पंचनद ही एक स्थल है, जहां पर पांच नदियों का संगम है। ये नदियां हैं यमुना, चंबल, क्वारी, सिंधु और पहुज। लेकिन यह पंचनद सरकारी अनदेखी के कारण आकर्षण का केंद्र नहीं बन पा रहे हैं। हालांकि पंचनदा को देश का सबसे बड़ा पर्यटन केंद्र बनवाने के लिए चंबल के वाशिंदे अरसे से नेताओं से गुहार लगाते रहे हैं।