केरल में पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखने वाले एक पुजारी ने एफआईआर दर्ज कर आरोप लगाया है कि एक ब्राह्मण पुजारी ने उसे जान से मारने की धमकी दी है और कहा है कि अगर उसने मंदिर में पूजा करनी शुरू की तो मर्डर कर दिया जाएगा। द टेलीग्राफ के मुताबिक आरोप लगाने वाले पिछड़ी जाति के पुजारी सुधीर कुमार को दक्षिण केरल में अलापुज्झा के मवेलिक्कारा स्थित चेत्तिकुलंगारा देवी मंदिर में सहायक पुजारी के रूप में नियुक्ति हुई है। उसने अपनी एफआईआर में आरोप लगाया है कि उसी जिले के पाथियूर देवी मंदिर के मुख्य पुजारी चिंगोली नारायणन ने जान से मारने की धमकी दी है।
एफआईआर में कहा गया है कि मंदिर में ड्यूटी ज्वायन करने से एक दिन पहले मंगलवार (26 सितंबर) को नारायणन उसके घर में जबरन घुस आए और उनकी पत्नी को धमकी दी। प्राथमिकी में कहा गया है, “नारायणन ने मेरी पत्नी को कहा कि उसे कहो कि वो मंदिर में ड्यूटी ज्वायन नहीं करें, वर्ना ऐसा करने की जुर्रत की तो मार कर टांग दूंगा। वहा सिर्फ ब्राह्मण ही जा सकता है।” कुमार राज्य के पिछड़ी जाति के एझवा समुदाय से आते हैं। उन्हें अभी चेत्तिकुलंगारा देवी मंदिर में सहायक पुजारी के रूप में ड्यूटी ज्वायन करनी है।
राज्य में पहले सभी मंदिरों में पुजारी के तौर पर सिर्फ ब्राह्मणों को ही नियुक्त होने का आधार था लेकिन राज्य में हुए सामाजिक सुधारों की वजह से अब गैर ब्राह्मणों को भी मंदिरों के पुजारी के पद पर नियुक्त होने का रास्ता साफ हो गया है। कुमार पिछले 13 सालों से दक्षिण केरल के अलग-अलग मंदिरों में पुजारी के रूप में काम कर चुके हैं। उन्हें पिछले साल जून में कायामकुलम के श्रीकृष्ण स्वामी मंदिर से अलप्पुझा के चेत्तिकुलंगारा देवी मंदिर में ट्रांसफर किया गया है।
कुमार के स्थानांतरण ने वहां एक नया विवाद पैदा कर दिया है। तथाकथित आरएसएस और बीजेपी समर्थित हिन्दू मठ कन्वेन्शन ने कुमार की नियुक्ति पर सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि उस पद पर पिछड़ी समुदाय का व्यक्ति आसीन नहीं हो सकता है। कन्वेन्शन ही चेत्तिकुलंगारा देवी मंदिर को संचालित करता है। हालांकि, इस बारे में उसके पास कोई सरकारी अधिकार प्राप्त नहीं है। इस बीच दक्षिण केरल के मंदिरों को संचालित करने वाले ट्रावनकोर देवास्वम बोर्ड ने दबाव में आकर कुमार की नियुक्ति को रद्द कर दिया था लेकिन फिर से बोर्ड ने कुमार को 27 सितंबर तक ज्वायन करने को कहा था।