Friday, October 18, 2024
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पैदा होने से पहले ही बच्चों को ‘संस्कारी’ बनाने में जुटी RSS की विंग

SI News Today

अर्जुन के बेटे अभिमन्यु की कहानियां तो आपने सुनी होगी. अभिमन्यु ने मां के गर्भ में ही चक्रव्यू तोड़ने का गुर सीख लिया था. अर्जुन ने अपने पुत्र को गर्भ में रहते हुए ही कई विद्याएं सिखा दीं थी. ये कहानी सुनकर आपको संभवत: यह लगता होगा कि ऐसा सिर्फ कहानियों में ही हो सकता है. पर आपको बता दें कि अब यह वास्तव में संभव है. यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्क‍ि RSS का गर्भ विज्ञान अनुसंधान केंद्र कह रहा है. अगर आप अपने बच्चे के भविष्य की योजना पहले ही बना चुके हैं तो आप गर्भ से ही अपने बच्चे को भविष्य के लिए तैयार कर सकते हैं. जी हां, Indian Express में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार RSS के ‘गर्भ विज्ञान अनुसंधान केंद्र’ में कुछ ऐसे ही दावे किए जा रहे हैं.

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गर्भ विज्ञान अनुसंधान केंद्र की मानें तो माता-पिता का IQ लेवल कितना भी कम क्यों न हो, उनका बच्चा bright और मेधावी हो सकता है. माता-पिता की कद-काठी भले ही कम हो, पर उनकी संतान का कद लंबा हो सकता है. सांवले मां-बाप होने के बावजूद गोरे बच्चे को जन्म दे सकते हैं और ये सब गर्भ विज्ञान अनुसंधान केंद्र में संभव है.

माता-पिता के लिए ‘शुद्धिकरण’ (purification) के तीन महीने, ग्रहों के विन्यासों द्वारा तय समय पर संभोग, बच्चे की कल्पना के बाद पूर्ण संयम, और प्रक्रियात्मक और आहार संबंधी नियम. RSS के हेल्थ विंग आरोग्य भारती के ज्ञान विज्ञान संस्कार प्रोजेक्ट के तहत ये वो चीजें हैं, जो उत्तम संतती यानी कस्टमाइज्ड बच्चे को सुनिश्च‍ित करेंगी.

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एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह प्रोग्राम गुजरात में एक दशक पहले लॉन्च किया गया था. साल 2015 में इसका विस्तार करते हुए गुजरात और मध्यप्रदेश में 10 ब्रांच खोले गए. जल्दी ही इसकी शाखाएं उत्तर प्रदेश और पश्च‍िम बंगाल में भी खोल दी जाएंगी.

परियोजना के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. करिश्मा मोहनदास नारवानी ने बताया कि उत्तम संतती के जरिये हमारा उद्देश्य सामर्थ भारत का निर्माण करना है. साल 2020 तक हजारों बच्चों को इस पद्धति के जरिये जन्म दिलाना हमारे लक्ष्य में है.

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रिपोर्ट के अनुसार ऐसा दावा किया जा रहा है कि इसके लिए प्रोजेक्ट को दो हिस्सों में बांटा जाएगा. पहले हिस्से में प्रेग्नेंसी से पहले तीन महीने तक नाड़ी शुद्धी और देह शुद्धी जैसी प्रक्रिया की जाएगी, जिसमें पुरुष के शुक्राणुओं और महिला के अंडों को शुद्ध किया जाएगा. इस प्रक्रिया के बाद नये शुक्राणुओं और अंडों का जन्म होगा, जिसमें कोई जेनेटिक डिफेक्ट नहीं होगा.

यानी इस प्रक्रिया के बाद जन्म लेने वाले बच्चे को संस्कारी और होनहार बनाने के लिए मां-बाप को ज्यादा मेहनत नहीं करनी होगी. क्योंकि बच्चा गर्भ से ही सब कुछ सीख कर पैदा होगा.

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