भारतीय जनता पार्टी ने रामनाथ कोविंद को अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित कर दिया है। संख्या बल ज्यादा होने की वजह से साफ माना जा रहा है कि देश के अगले राष्ट्रपति अब रामनाथ कोविंद ही होंगे। उनकी जिंदगी से जुड़े कई किस्से हैं जिनके बारे में जानकर आपको हैरानी होगी। ऐसा ही एक किस्सा उनके साथ लगभग तीन हफ्ते पहले हुआ था। रामनाथ कोविंद अपने परिवार के साथ गर्मियों की छुट्टियां मनाने शिमला गए थे। इस मौके पर उन्होंने वहां पर प्रेसिडेंट रिट्रीट देखने का फैसला किया लेकिन उन्हें बाहर से ही लौटा दिया गया। सूत्रों के मुताबिक 29 मई को कोविंद प्रेसिडेंट रिट्रीट देखने गए थे। प्रेसिडेंट रिट्रीट भारत के राष्ट्रपति का आधिकारिक रिट्रीट हाउस है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी हर साल अपनी गर्मियों की छुट्टियां बिताने वहां पर जाते रहे हैं। हालांकि इस साल राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर उन्होंने अपनी यात्रा रद्द कर दी थी।
रामनाथ कोविंद हिमाचल प्रदेश घूमने के लिए राज्य के राज्यपाल आचार्य देवरत के मेहमान बनकर पहुंचे थे। वह 28 से 30 मई तक अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने गए थे। उस दौरान 29 मई को उन्होंने प्रेसिडेंट रिट्रीट देखने का फैसला किया लेकिन उन्हें अंदर जाने की इजाजत नहीं दी गई। बता दें प्रेसिडेंट रिट्रीट देखने के लिए राष्ट्रपति भवन द्वारा इजाजत लेना अनिवार्य होता है। रामनाथ कोविंद के पास अनुमति नहीं होने के कारण एंट्री नहीं मिली थी। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के सलाहकार शशि कांत शर्मा ने बताया, “उन्हें इजाजत नहीं मिली थी लेकिन उन्हें इस बात पर बुरा नहीं लगा। अगर उन्होंने हमें बताया होता तो हम उनके लिए व्यवस्था जरूर कराते।”
जानिए कौन हैं रामनाथ कोविंद
19 जून को बीजेपी ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित किया था। 71 साल के कोविंद उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के डेरापुर तहसील के झींझक कस्बे के एक छोटे से गांव परौख के रहने वाले हैं। उनका जन्म 01 अक्टूबर 1945 को हुआ था। कोविंद की शुरुआती शिक्षा संदलपुर ब्लॉक के गांव खानपुर से हुई। कानपुर के डीएवी लॉ कॉलेज से वो कानून स्नातक हैं। 1977 से 1979 तक केंद्र सरकार की तरफ से दिल्ली हाईकोर्ट में वकील रहे। इसके बाद 1980 से 1983 तक वो सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से स्टैंडिंग काउंसिल रह चुके हैं। उन्होंने 1993 तक दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कुल 16 सालों तक प्रैक्टिस की है। 8 अगस्त 2015 को उन्हें बिहार का गवर्नर नियुक्त किया गया था।