महात्मा गांधी ने गुजरात के जिस अल्फ्रेड हाई स्कूल में पढ़ाई की थी उसे गुजरात की भाजपा सरकार द्वारा बंद किए जाने के बाद से ही राज्य के अन्य ऐसे स्कूल भी चर्चा में हैं जिनका महात्मा गांधी से संबंध है। इनमें से एक स्कूल में गांधीजी ने बचपन में पढ़ाई की थी तो दूसरे की उन्होंने स्थापना की थी। अल्फ्रेड हाई स्कूल को खस्ताहाल होने, छात्रों की संख्या कम होने और छात्रों के खराब प्रदर्शन के आधार पर बंद किया जा रहा है। इस मामले में गांधीजी से जुड़े बाकी दो स्कूलों की हालत भी ज्यादा अलग नहीं है। अल्फ्रेड हाई स्कूल का नाम बदलकर मोहनदास गांधी विद्यालय कर दिया गया था। अब इस स्कूल में गांधीजी के जीवन पर केंद्रित संग्रहालय बनेगा।
राजकोट स्थित किशोरसिंहजी स्कूल नंबर एक में महात्मा गांधी ने 21 जनवरी 1879 से एक दिसंबर 1880 के बीच पढ़ाई की थी। 1838 में खुले इस स्कूल के बोर्ड पर यहां से गांधीजी के पढ़े होने की बात अंकित है। स्कूल के पास अभी भी वो रिकॉर्ड मौजूद हैं जिनसे महात्मा के यहां का छात्र होने की पुष्टि होती है। अल्फ्रेड हाई स्कूल की तरह इस स्कूल के छात्रों की संख्या पिछले दो दशकों में तेजी से गिरी है।
इंडियन एक्सप्रेस के पास मौजूद दस्तावेज के अनुसार पिछले कई सत्रों से स्कूल में कुल छात्रों की संख्या 250 से कम रहती है। छात्रों की कम होती संख्या की वजह से साल 2011-12 में आसपास के चार तालुका स्कूलों को एक में मिला दिया गया था। साल 2007 में यहां कुल 107 छात्र थे। उसके बाद भी अगले तीन सालों तक किसी भी साल यहां 150 से ज्यादा छात्र नहीं थे। 2011 और 2012 में यहां छात्रों की संख्या कुछ बढ़ी लेकिन उसके बाद फिर कम होने लगी। 29 अप्रैल 2017 को यहां कुल 114 छात्र थे।
राष्ट्रीय शाला की स्थापना महात्मा गांधी ने 1921 में की थी। गांधीजी का मकसद बच्चों में राष्ट्रवादी भावनाओं का बचपन से ही विकास और अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन के लिए नौजवानों को तैयार करना था। गांधीजी ने खुद ही इस स्कूल की नियमावली तैयार की थी। इस स्कूल में 1939 में गांधीजी ने राजकोट रियासत द्वारा टैक्स बढ़ाए जाने के खिलाफ पांच दिनों का उपवास रखा था। स्कूल में प्री-प्राइमरी से हाई स्कूल तक की पढ़ाई होती है। 70 हजार गज में फैले इस स्कूल में इस समय 150 से भी कम छात्र हैं। स्कूल का संचालन राष्ट्रीय शाला ट्रस्ट (आरएसटी) करता है।