सुप्रीम कोर्ट ने 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाए जाने को लेकर याचिका पर सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी है.
आडवाणी के वकील के के वेणुगोपाल की कोर्ट में अनुपस्थिति की वजह से आज की सुनवाई को टालना पड़ा है. जस्टिस पीसी चंद्र घोष और जस्टिस आरएफ नरिमन की खंडपीठ ने कहा कि 6 अप्रैल को होने वाली सुनवाई में सभी पक्षों से लिखित हलफनामा दायर करने को कहा है.
बता दें कि आडवाणी, जोशी, भारती के अलावा यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं राजस्थान के मौजूदा राज्यपाल कल्याण सिंह सहित बीजेपी और विश्व हिन्दु परिषद (वीएचपी) के नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप को खारिज करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी.
इस याचिका पर इससे पहले 6 मार्च की सुनवाई में शीर्ष अदालत ने इन नेताओं के खिलाफ लगे आरोप हटाने के आदेश का परीक्षण करने का विकल्प खुला रखा था. सुप्रीम कोर्ट ने विध्वंस मामले की सुनवाई में देरी पर भी चिंता जताई थी. कोर्ट ने तब साफ कहा था कि पहली नजर में इन नेताओं को आरोपों से बरी करना ठीक नहीं लगता. यह कुछ अजीब है. सीबीआई को इस मामले में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ समय पर सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करनी चाहिए थी. निचली अदालत ने तकनीकी आधार पर इन नेताओं को बरी किया था, जिस पर हाइकोर्ट ने भी मुहर लगाई थी.
अयोध्या में स्थित 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद को ढहाने के मामले में लखनऊ और रायबरेली की आदलतों में दो मामले चल रहे हैं. कोर्ट ने इस पर कहा था कि रायबरेली और लखनऊ में मामलों की सुनवाई को एक किया जा सकता है, जिसकी सुनवाई लखनऊ की विशेष अदालत में की जा सकती है. वकीलों का कहना था कि इन मामलों की संयुक्त सुनवाई का मतलब नये सिरे से कार्यवाही शुरू करना होगा. कोर्ट ने तब इस मामले की सुनवाई के लिए 22 मार्च की तारीख तय की थी.