राजस्थान से भाजपा विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और राजस्थान नेतृत्व पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने पार्टी पर माफिया, चापलूसों का दरबार बन जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान में भाजपा सरकार जब तक सत्ता में रहेगी, उनकी जान को खतरा बना रहेगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने राजस्थान में चोरी और सीनाजोरी के नए कीर्तिमान स्थापित किए। क्या इस मुख्यमंत्री को आपने पार्टी गिरवी रख दी? तिवाड़ी ने आरोप लगाया कि राजस्थान में पार्टी समर्पण, निष्ठा और योग्यता को दरकिनार कर चापलूसों का दरबार और माफियाओं का अड्डा बनती जा रही है।
तिवाड़ी ने पार्टी की राष्ट्रीय अनुशासन समिति द्वारा जारी नोटिस का जवाब देते हुए कहा कि राजस्थान के कार्यकर्ता इस भ्रष्ट और निकृष्ट नेतृत्व के सामने ना झुका है न झुकेगा, बल्कि एक नया इतिहास रचेगा। समिति के अध्यक्ष गणेशीलाल को लिखे पत्र में तिवाड़ी ने कहा, ‘‘इसकी शुरूआत 2 अक्टूबर 2015 में मुख्यमंत्री के गुर्गो द्वारा भाजपा प्रशिक्षण शिविर में मेरे साथ की गई बदसलूकी और जानलेवा हमले की साजिश तथा 6 मई को आपके द्वारा भेजे गये अनुशासनहीनता के प्रशस्ति पत्र से मानी जायेगी।’’
उन्होंने कहा कि आपका नोटिस राजस्थान के हर उस निष्ठावान कार्यकर्ता को मिला है जिसका प्रदेश के भ्रष्ट और सामंतवादी नेतृत्व द्वारा दमन किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि संघ से जुडे सभी संगठन-मजदूर संघ, किसान संघ, शिक्षक संघ, विद्यार्थी परिषद, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, यहां तक कि स्वयं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक तक सडकों पर उतर कर इस सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर चुके है, लेकिन किसी की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही। केवल सामन्तवाद के रंग-ढंग के आगे पार्टी नतमस्तक हो रही है।
नोटिस का बिन्दू वार जवाब देते हुए तिवाड़ी ने कहा, ‘‘मैं पार्टी के कार्यक्रमों और बैठकों में नहीं जा रहा हूं, इसका प्रमुख कारण है कि मुझे वहां जान का खतरा है। राजस्थान में मुझ पर पांच बार हमला हो चुका है। इन हमलों से पहले वर्तमान भाजपा सरकार ने मुझे और मेरे परिवार को दी गई सुरक्षा हटा दी। इसकी जानकारी मैंने पत्र के माध्यम से राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष, राजस्थान के राज्यपाल और भारत के गृहमंत्री को भिजवा दी थी।’’उन्होंने कहा, ‘‘इस नोटिस को भेजने से पहले एक बार मुझे बुलाकर पूछ ही लेते कि क्या बात है, आपको क्या समस्या है? मैं अपनी तरफ से स्थितियों का वर्णन करता। फिर आप कोई निर्णय लेते तो समझ में आता। बिना कभी कोई बात किए मुझे सीधे नोटिस देकर सफाई मांगना और वह भी मीडिया के द्वारा सार्वजनिक रूप से यह तो मात्र एक औपचारिकता है जो पूर्वाग्रह से ग्रसित मंतव्य को परिलक्षित करती है। अब ये स्पष्ट है कि सब काम उनके लिये किया जा रहा है जो भ्रष्ट है।’’