पिछले 25 सालों में स्वास्थ्य देखभाल के मामले में भारत ने तरक्की तो की है लेकिन वह इस मामले में अपने पड़ोसी देश नेपाल, भूटान, श्रीलंका और बांग्लादेश से काफी पीछे है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज द्वारा किए गए इस शोध का खुलासा द लांसेट ने किया है। इस शोध में 195 देश शामिल हैं, जिनकी 1990-2015 के बीच रही हेल्थ केयर की जानकारी शोध में दी गई है। इस शोध में 32 ऐसी बीमारी सामने आई हैं जिनका परिणाम प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल में घातक नहीं होना चाहिए। वहीं भारत की बात करें तो बढ़ते इकोनॉमिक ग्रॉथ के बावजूद भारत का हेल्थ केयर विभाग अपने उद्देश्यों को पूरा करने में असक्षम रहा है।
शोध के अनुसार, 25 सालों में भारत की हेल्थ केयर के मामले में 14.1 की वृद्धि हुई है लेकिन संख्याओं के हिसाब से भारत अपने पड़ोसी राज्यों से काफी पीछे हैं. भारत की 1990 में संख्या 30.7 थी और 2015 में यह संख्या 44.8 रही है। वहीं भारत के पड़ोसी देशों की बात करें तो बांग्लादेश की 51.7, श्रीलंका की 72.8, भूटान की 52.7 और नेपाल की 50.8 संख्या रही है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान दो ही ऐसे देश हैं जिन्हें शोध में भारत से कम नंबर मिले हैं। भारत में सबसे ज्यादा नवजात शिशुओं की मृत्यु होती है और भारत का इसमें सुधार लाने में बहुत ही खराब प्रदर्शन रहा है।
एशियाई देशों में श्रीलंका शोध के मुताबिक शीर्ष स्थान पर है। श्रीलंका का हेल्थ केयर विभाग अपने मरीजों के स्वास्थ्य के मामले में बहुत ही गंभीर है। भारत की बात करें तो शोध कहता है कि हार्ट डिजीज के मामले में भारत को पचिसवां स्थान मिलता है, वहीं ट्यूबरक्लॉसिस में भारत 26, किडनी डिजीज में 20, मधुमेह में 38, अपेंडिक्स में 38 और पेप्टिक यूल्कर डिजीज में 39 नंबर पर है। इसके अलावा भी कई ऐसी बीमारियां हैं जिनमें भारत को ज्यादा गंभीर होने की जरूरत है। वैसे तो भारत ने वृद्धि की है लेकिन भारत अपनी कमियों पर काम करता है तो हो सकता है कि भारत जल्द ही शीर्ष स्थान प्राप्त कर ले।