वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर सवाल उठाने पर पार्टी की आलोचना करते हुए इसे “पराजयवादी” बताया है। मोइली ने कहा कि ईवीएम पर संदेह नहीं किया जा सकता। मंगलवार (11 अप्रैल) को 16 विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग को याचिका देकर मांग की थी कि चुनाव मतपत्र से कराए जाएं। मोइली ने कांग्रेस के ईवीएम विरोधी शोरशराबे में शामिल होने पर निराशा जताते हुए कहा कि कांग्रेस अपनी हार के लिए बहाना खोज रहे क्षेत्रीय दलों के “लोकप्रियतावादी हथकंडे” के झांसे में आ गयी है।
मोइली ने टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार से कहा कि “मैं पूर्व कानून मंत्री हूं और मेरे ही समय में ईवीएम लागू हुई थी। उस समय शिकायतें भी आई थीं। हमने उनकी पड़ताल करके पुष्टि भी की थी। आप जानते हैं कि इतिहास नहीं भूलना चाहिए। आप को लग रहा है कि ईवीएम के खिलाफ एक लहर है तो आप भी उसमें शामिल हो लिए।” विपक्षी दलों की याचिका में कांग्रेस के शामिल होने पर मोइली ने अखबार से कहा, “हमें इसमें शामिल नहीं होना चाहिए…हम में से किसी से संपर्कन नहीं किया गया था….बहुत सारे लोगों से संपर्क नहीं किया गया।”
ईवीएम से जुड़ी शिकायतों पर मोइली ने कहा कि हम ईवीएम को अच्छी तरह जानते हैं और हमारे (यूपीए के) समय में हमने ईवीएम की जांच करायी थी। मोइली ने कहा कि अगर आप हार गए हैं तो इसकी वजह ईवीएम नहीं है? मोइली ने कहा कि केवल “पराजित मानसिकता वाले लोग” ही ईवीएम को दोष देंगे, नहीं तो इसकी कोई जरूरत नहीं। मोइली ने कहा कि इस लोकप्रियतावादी कोरस में शामिल होने से कांग्रेस का जनाधार खिसक जाएगा।
मोइली ने माना कि स्थानीय स्तर पर ईवीएम से जुड़ी शिकायतें आई हैं लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि ऐसी शिकायतों के निपटारे के लिए पहले से ही चुनाव आयोग सक्षम है। मोइली ने साफ कहा कि ऐसी शिकायतें इस “तकनीकी के दुरुपयोग” से जुड़ी नहीं हैं कि क्योंकि इसकी कोई संभावना नहीं है। मोइली ने कहा कि वो ऐसी किसी बात से इत्तेफाक नहीं रखते।
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधान सभा चुनाव में भाजपा को दो-तिहाई बहुमत मिलने के बाद बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने ईवीएम मशीन में धांधली का आरोप लगाते हुए मतपक्षों से चुनाव कराने की चुनौती दी थी। उसके बाद आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने भी ईवीएम से चुनाव पर सवाल उठाए। मध्य प्रदेश में कथित तौर पर एक ईवीएम वीवीपीएटी मशीन से किसी और पार्टी के चुनाव चिह्न के निशान को दबाने पर भाजपा की पर्ची निकलने के बाद मामले ने और तूल पकड़ लिया। हालांकि चुनाव आयोग ने हर बार साफ किया कि भारतीय ईवीएम पूरी तरह भरोसेमंद है।