शिवराज सिंह चौहान के भूख हड़ताल पर जाने के मुद्दे को लेकर उनपर निशाना साधते हुए आज शिवसेना ने कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने किसानों का आंदोलन खत्म करने के लिए गांधीवादी तरीके का सहारा लिया, जबकि उनकी अपनी पार्टी के अध्यक्ष ने महात्मा गांधी को चतुर बनियो कहा था। शिवसेना ने अपने मुखपत्र में छपे संपादकीय में कहा कि मुख्यमंत्री का काम शासन करना होता है। अनशन पर बैठ जाना भारतीयों के खिलाफ हो रहे अन्याय से लड़ने के लिए महात्मा गांधी का हथियार था। आज इस देश में न तो ब्रितानी और न ही कांग्रेस राज कर रही है।
रिण माफी और अपनी फसलों के लिए लाभकारी मूल्य की मांग करने वाले किसानों से शांति की अपील करते हुए चौहान शनिवार को अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गए थे। उन्होंने कुछ योजनाओं की घोषणा करते हुए अगले दिन अनशन तोड़ दिया था लेकिन फसाद से जुड़ी गतिविधियोें में लिप्त लोगों को कड़ी चेतावनी जारी की थी। चौहान के अनशन से एक ही दिन पहले यानी शुक्रवार को भाजपा प्रमुख अमित शाह ने रायपुर में कहा था कि महात्मा गांधी एक ेचतुर बनियो थे, जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस को भंग करने की सही सलाह दी थी। शिवसेना ने अपने संपादकीय में कहा, भाजपा के अध्यक्ष तो महात्मा गांधी पर टिप्पणी कर रहे थे, वहीं उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता अपने राज्य की समस्याओं को सुलझाने के लिए गांधीवादी तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। मुख्यमंत्री का काम शासन करना है।
बता दें कि अमित शाह के इस बयान को लेकर कांग्रेस ने महात्मा गांधी को ‘चतुर बनिया’ कहने के लिए शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह से माफी मांगने की मांग की। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “देश के राष्ट्रपिता के बारे में अमित शाह की टिप्पणी उनका अपमान है। यह आजादी की लड़ाई तथा स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है। क्या समस्त संघर्ष केवल एक व्यापार था? क्या राष्ट्र निर्माण एक व्यापार था?” उन्होंने सवाल किया, “इस तरह की अपेक्षा सत्ता का व्यापार करने वाले अमित शाह तथा भाजपा से ही की जा सकती है।
क्या महात्मा गांधी अब अपनी जाति से जाने जाएंगे?” सुरजेवाला ने कहा, “महात्मा गांधी को व्यापार मॉडल से जोड़कर उन्होंने उन बलिदानों का अपमान किया है, जो आजादी की लड़ाई के दौरान दिए गए। अंग्रेजों ने हिंदू महासभा तथा संघ का इस्तेमाल केवल देश के बंटवारे के उद्देश्यों को साधने के लिए किया।” उन्होंने कहा, “आजादी के बाद वे दलितों तथा कमजोर तबकों को दबाने के साधन बन गए। यह उनका असली चेहरा तथा चरित्र है।” शाह की आलोचना करते हुए सुरजेवाला ने कहा, “गांधी की पहचान जाति से कर अमित शाह ने अपने असली चेहरे, चरित्र तथा मानसिकता को जाहिर कर दिया है।” उन्होंने कहा, “हमारी मांग है कि आजादी की लड़ाई के अपमान को लेकर अमित शाह, भाजपा तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देशवासियों तथा स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों से माफी मांगनी चाहिए। शाह ने एक संगीन जुर्म और राजद्रोह से संबंधित काम किया है।”