उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में नई सरकार के बनने के बाद अखिलेश यादव सरकार द्वारा पार्टी नेताओं को विभिन्न विभागों में नियुक्त किए गए सलाहकारों और उपाध्यक्षों के पदों से बर्खास्त कर दिया गया है. इन लोगों ने सरकार बदल जाने के बाद भी इस्तीफा नहीं दिया था. बता दें कि अखिलेश यादव सरकार ने 80 से अधिक कार्यकर्ताओं को विभिन्न विभागों में सलाहकार, उपाध्यक्ष आदि नियुक्त कर रखा था. विधानसभा के चुनाव में बीजेपी को अपार बहुमत के बाद करीब 20 लोगों ने पहले ही पद से इस्तीफा दे दिया था.
इस संबंद में प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने एक आदेश जारी कर कहा है कि पूर्व सरकार में विभिन्न विभागों, सार्वजनिक निगमों, परिषदों, समितियों में प्रशासनिक व्यवस्था के तहत नियुक्त गैर-सरकारी सलाहकारों, अध्यक्षों, उपाध्यक्षों एवं सदस्यों की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई हैं. ऐसे लोगों को कार्यमुक्त कर दिया गया है.
मुख्य सचिव ने कृषि उत्पादन आयुक्त अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त, आयुक्त समाज कल्याण, अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों को निर्देश दिए हैं कि सरकार के फैसले का पालन अविलंब सुनिश्चित किया जाए.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने समाजवादी सरकार में गठित उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग, पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग, अनुसूचित जाति जन जाति आयोग, राज्य महिला आयोग, राज्य बाल संरक्षण आयोग पर अभी कोई फैसला नहीं किया है. हालांकि इनमें से राज्य महिला आयोग व अल्पसंख्यक कल्याण आयोग में एक-एक साल के लिए ही नियुक्तियां होती हैं. अल्पसंख्यक आयोग के सदस्यों का कार्यकाल अप्रैल में स्वत: खत्म हो जाएगा.
जानकारी के लिए बता दें कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी को शानदार बहुमत मिलने के बाद उर्दू अकादमी के अध्यक्ष नवाज देवबंदी, भाषा संस्थान के अध्यक्ष गोपाल दास नीरज, हिन्दी संस्थान के अध्यक्ष उदय प्रताप समेत 20 से अधिक लोगों ने अपने पदों से स्वेच्छा से इस्तीफा दे दिया था. मगर, 60 से अधिक लोगों ने अब तक इस्तीफा नहीं दिया था. सरकार ने इन सभी को उनके पदों से बर्खास्त किया है.