उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने पुलिसकर्मियों की भर्ती के आदेश दे दिए हैं। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के उस रोडमैप को मंजूरी दे दी है, जिसमें उन्होंने पुलिस फोर्स में खाली पड़े पदों को भरने की मांग की थी। योगी आदित्य नाथ ने कहा था कि वह हर साल करीब 33,000 कॉन्सटेबलों और दरोगाओं की भर्ती करना चाहते हैं। ताकि राज्य पुलिस में खाली पड़े पदों को 2021 तक भरा जा सके। इस पर सुनवाई करते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को 3,000 सब-इंस्पेक्टर और 30,000 कॉन्स्टेबल की भर्ती करने के आदेश दे दिए।
भर्ती को मंजूरी दिए जाने के साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर भर्ती में देरी होती है, तो इसके लिए प्रिंसिपल सेक्रेटरी और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी दोषी होंगे। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विभिन्न राज्यों के पुलिस फोर्स में 5.52 लाख पद खाली हैं, जिन्हें जल्द ही भरे जाने की जरुरत है। पुलिस फोर्स की सबसे ज्यादा कमी उत्तर प्रदेश में है। यूपी में 1.5 लाख पद रिक्त है जबकि 3.5 लाख कांस्टेबल और अधिकारियों की क्षमता स्वीकृत है। बता दें कि खाली पदों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिसकर्मियों की भर्तियों के मामले में पिछले दिनों 6 राज्यों (यूपी, बिहार, झारखंड, कर्नाटक, तमिलनाडू और पश्चिम बंगाल) को तलब किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य बताए की वह खाली सीटों को कैसे भरेगी।
इससे पहले जनवरी 2017 में कोर्ट ने सभी राज्यों के गृह सचिवों को समन जारी कर करीब 5 लाख भर्तियों के संबंध में जानकारी मांगी थी और चार हफ्तों के अंदर भर्ती प्रकिया की जानकारी देने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पूरे देश में पुलिसबलों में इतनी बड़ी संख्या में पद खाली होने को लेकर चिंता जताई थी। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी अधिवक्ता मनीष कुमार द्वारा दायर की गई याचिका पर आई थी। याचिका में 2015 की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया था, जिसमें पुलिस सेवा में करीब 5.42 लाख रिक्तियों का जिक्र किया गया था। साथ ही राज्यों और केंद्र शासित राज्यों को खाली पदों पर नियुक्तियां करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।