Monday, December 23, 2024
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21 जून को योग दिवस

SI News Today

पूरी दुनिया इस वक्त अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की तैयारी में जुटी है लेकिन योग के प्रणेता महर्षि पतंजलि की , उत्तर प्रदेश में गोंडा जिले कोंडर ग्राम में स्थित जन्मभूमि उपेक्षा की शिकार है। योग ऋषि की जन्मभूमि को संरक्षित करके विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के लिये करीब दो दशक से संघर्ष कर रहा ‘श्री पतंजलि जन्मभूमि न्यास’ केंद्र और राज्य सरकार के साथ-साथ यूनेस्को को भी कई पत्र लिख चुका है, लेकिन योग के मामले में भारत को विश्वगुरु बनाने की नींव रखने वाले महर्षि पतंजलि की जन्म स्थली का कोई पुरसाहाल नहीं है।

न्यास के अध्यक्ष भगवदाचार्य का कहना है कि करीब 2200 साल पहले जन्मे महर्षि पतंजलि ने स्वयं ‘व्याकरण महाभाष्य’ में अपनी जन्मस्थली का जिक्र किया है। पतंजलि ने स्वयं को बार-बार गोनर्दीय कहा है। प्राचीन अयोध्या तथा श्रावस्ती के बीच स्थित भू-भाग को गोनर्द क्षेत्र माना जाता है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया है और जहां भारत समेत पूरी दुनिया अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की तैयारियों में जोर-शोर से जुटी है, वहीं योग की प्रेरणा देने वाले महर्षि पतंजलि को सभी भूल चुके हैं। जरूरी तो यह है कि पतंजलि की जन्मभूमि को संरक्षित करके विश्व धरोहर का दर्जा दिलाया जाए।

भगवदाचार्य ने कहा कि राजधानी लखनऊ से करीब 150 किलोमीटर दूर स्थिति पतंजलि की जन्मभूमि पर दूरदराज से आने वाले आगन्तुकों के लिये ना कोई आश्रम या धर्मशाला है और ना ही पेयजल, विद्युत, आवागमन तथा स्वास्थ्य इत्यादि की सुविधाएं। उन्होंने बताया कि निवर्तमान जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने पतंजलि की जन्मस्थली के विकास के लिए अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति का भी गठन किया था, जिसे तीन माह में अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, किन्तु इस समिति के द्वारा भी अब तक कोई रिपोर्ट नहीं दी गई है।

भगवदाचार्य ने बताया कि राज्य में बदले निजाम के बाद शासन के निर्देश पर इस बार जनपद, तहसील और विकास खण्ड स्तर पर तो योग दिवस का आयोजन किया जा रहा है, किन्तु कोंडर ग्राम में इस बार भी कोई सरकारी आयोजन नहीं हो रहा है।

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