Thursday, May 8, 2025
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आसाराम को सलाखों के पीछे पहुंचाने वाले 4 ‘महारथी’! जानिए रिपोर्ट…

SI News Today

नाबालिग से दुष्कर्म मामले में आसाराम को सलाखों के पीछे पहुंचाने में गवाहों के साथ-साथ दो पुलिस अफसरों और अभियोजन पक्ष के दो वकीलों ने अहम भूमिका निभाई थी. ये पुलिस अफसर थे-अजय पाल लांबा व सतीशचंद्र जांगिड़ और वकील-पीसी सोलंकी व प्रमोद वर्मा. यह पूरा मामला तभी उजागर हुआ जब लांबा ने दिल्‍ली पुलिस की सूचना पर आसाराम पर लगे आरोपों की जांच की और उन्‍हें सही पाया. इसके बाद महिला थाने में केस दर्ज होने से लेकर आरोपपत्र तैयार होने तक तत्‍कालीन एडीसीपी जांगिड़ की भूमिका अहम रही. अब बारी थी पीड़ित पक्ष की ओर से मजबूत पैरवी की. आसाराम की ओर से कई बड़े-बड़े वकील लगे थे लेकिन पीड़ित पक्ष को कौन न्‍याय दिलाता. सीनियर एडवोकेट पीसी सोलंकी और प्रमोद वर्मा ने पीड़ित पक्ष का केस लिया और फिर एक-एक गवाह व साक्ष्‍य को इतनी मजबूती से क्रॉस एक्‍जामिन किया कि अदालत को आसाराम को सजा सुनाने में जरा भी समय नहीं लगा. आसाराम व अन्‍य के खिलाफ कैसे तैयार हुई केस की पृष्‍ठभूमि :

लांबा की सूझबूझ से दर्ज हुआ था केस
दुष्‍कर्म की शिकायत पहले दिल्‍ली पुलिस के पास गई थी. 21 अगस्‍त 2013 को दिल्‍ली पुलिस की टीम पीड़िता और उसके पिता को लेकर तत्‍कालीन डीसीपी (जोधपुर वेस्‍ट) अजय पाल लांबा के पास जोधपुर आई. तभी लांबा को मामले की जानकारी हुई. पहले उन्‍हें भरोसा नहीं हुआ लेकिन बाद में उन्‍होंने खुद जांच की और पाया कि आरोप सही हैं. पीड़िता ने आश्रम, जहां उसके साथ दुष्‍कर्म हुआ, का पता एकदम सही बताया था. लांबा ने कहा-मुझे भरोसा नहीं हुआ कि कोई पता इतना सटीक कैसे बता सकता है. अगर वह वहां नहीं गई होती तो उसे इसके बारे में पता नहीं होता. यहीं से मेरा संदेह दूर होने लगा. फिर मेरठ का एक मामला सामने आया. जब हम शिकायत दर्ज कराने के लिए उनके पास गए तो उन्‍होंने एफआईआर लिखाने से मना कर दिया. यह हमारे लिए झटका था. 31 अगस्‍त तक हमें आसाराम के ठिकाने का पता नहीं था कि वह कहां छिपा बैठा है. हमने आसाराम की तलाश में पुलिस बल इंदौर भेजा और जोधपुर में प्रेस कांफ्रेंस भी की कि पुलिस को आसाराम की तलाश है. इस बीच आसाराम भोपाल एयरपोर्ट पर देखा गया. वह एयरपोर्ट से निकलकर इंदौर स्थित आश्रम गया लेकिन उसे पता नहीं था कि पुलिस वहां मौजूद है. इसी दौरान उसे गिरफ्तार कर लिया गया. टाइम्‍स ऑफ इंडिया ने लांबा के हवाले से लिखा है कि आसाराम की गिरफ्तारी के बाद उन्‍हें जान से मारने की धमकी तक मिली लेकिन उन्‍होंने मामले की जांच नहीं छोड़ी.

जांगिड़ ने साक्ष्‍य जुटाने में निभाई अहम भूमिका
आसाराम के खिलाफ जोधपुर के महिला थाने में केस दर्ज किया गया था. उस समय जांगिड़ जोधपुर वेस्‍ट में एडीसीपी थे. मामले की जांच उन्‍होंने काफी गहनता से कराई. पीड़ित परिवार द्वारा उपलब्‍ध साक्ष्‍यों और बयान को गंभीरता से लिया. घटनास्‍थल के निरीक्षण से पहले पीड़िता से पूरा ब्‍योरा लिया था, जो सही निकला. सभी तथ्‍य रिकॉर्ड किए गए. चूंकि मामला दिल्‍ली में पहले दर्ज हुआ था इसलिए सभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी की गईं. पोक्‍सो एक्‍ट के सभी नए नियमों को ध्‍यान में रखकर आरोप पत्र तैयार कराया. इसमें कानूनी राय भी ली गई. यह सब होने के बाद सबसे बड़ी मुश्किल आसाराम को गिरफ्तार करने की थी. जांगिड़ के नेतृत्‍व में ही पुलिस ने इंदौर से आसाराम को गिरफ्तार किया.

केस छोड़ने का लालच मिला था आसाराम की ओर से
अभियोजन पक्ष के वकील पीसी सोलंकी थे. जब उन्‍होंने केस लिया तो पहले खूब सारा लालच दिया गया और जब उन्‍हें ठुकराया तो धमकी मिलने लगी. लेकिन सोलंकी केस पर ध्‍यान दे रहे थे. एक रिपोर्ट के अनुसार सोलंकी जनवरी 2014 में केस से जुड़े. मामला बाबा से जुड़ा था इसलिए ज्‍यादा रुचि ली. धमकियों से डरे नहीं और सुप्रीम कोर्ट में मजबूती के साथ पैरवी की. हालांकि विपक्ष में राम जेठमलानी, सुब्रमण्यम स्वामी, केटीएस तुलसी, सिद्धार्थ लूथरा जैसे नाम-गिरामी वकील थे. उन्‍हें भरोसा था कि जीत सच्‍चाई की होगी. अदालत तथ्‍यों के आधार पर फैसला देगी. अंतिम बहस पूरी होने के बाद वह आश्वस्त थे कि आसाराम को सख्‍त सजा होगी. फैसला पीड़िता के पक्ष में है. अदालत ने कहा भी है कि आसाराम ने ऐसा करके सभी बाबाओं की छवि खराब कर दी.

धमकियां दी गईं, गवाहों पर हमले हुए पर केस नहीं छोड़ा
अभियोजन पक्ष की ओर से सीनियर एडवोकेट प्रमोद वर्मा भी थे. उनके मुताबिक इस केस में पैरवी आसान नहीं थी क्‍योंकि मामला हाईप्रोफाइल था और धमकियां भी मिल रही थीं. किसी बाबा को ऐसे मामलों में सजा नहीं हुई थी. बीते साल राम रहीम को सजा से हमारा मनोबल ऊंचा हो गया था. बचाव पक्ष के कारण ही मामला इतना लंबा खिंचा. उन्‍होंने कोर्ट में पीड़िता से तीन माह तक बयान लिया. हालांकि पीड़िता भी नहीं घबराई, उसने वही बताया जो हुआ था. राहुल सचान पर कोर्ट में हमला व गवाहों की हत्या हुई लेकिन हम केस में अपना पक्ष मजबूती से रख पाए.

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