After 100 years, it will take such a rare lunar eclipse! Learn…
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एक महीने बाद यानी कि 27 जुलाई को 21वीं सदी का सबसे लंबा और पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse) लगने वाला है. इस बार चंद्र ग्रहण की अवधि 1 घंटे 43 मिनट की होगी. इस दौरान पृथ्वी का उपग्रह यानी कि चंद्रमा खूबसूरत लाल या भूरे रंग का दिखाई देगा. वैज्ञानिकों ने इस चंद्र ग्रहण को ब्लड मून (Blood Moon) का नाम दिया है. इस पूर्ण चंद्र ग्रहण का नजारा भारत समेत अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और दक्षिण एशिया में खुली आंखों से देखा जा सकेगा. आइए जानते हैं कि क्या होता है सुपरमून, ब्लड मून और चंद्र ग्रहण:
क्या होता है सुपरमून
जब चांद और धरती के बीच की दूरी सबसे कम हो जाती है और चंद्रमा अपने पूरे शबाब पर चमकता दिखाई देता है, उसे सुपरमून कहते हैं.
क्या होता है ब्लड मून
चंद्रग्रहण के दौरान चांद लाल दिखता है जिसे ब्लड मून अर्थात रक्तिम चांद कहा जाता है. दरअसल, पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चांद जब धरती की छाया में रहता है तो इसकी आभा रक्तिम हो जाती है जिसे रक्तिम चंद्र या लाल चांद कहते हैं. ऐसा तब होता है जब चांद पूरी तरह से धरती की आभा में ढक जाता है. ऐसे में भी सूरज की ‘लाल’ किरणें ‘स्कैटर’ होकर चांद तक पहुंचती है.
क्या होता है चंद ग्रहण
चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी एवं चंद्रमा ऐसी स्थिति में होते हैं कि कुछ समय के लिए पूरा चांद अंतरिक्ष में धरती की छाया से गुजरता है. लेकिन पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरते वक्त सूर्य की लालिमा वायुमंडल में बिखर जाती है और चंद्रमा की सतह पर पड़ती है. इसे ब्लड मून भी कहा जाता है.
चंद्र ग्रहण कैसे देखें
सूर्य ग्रहण की तरह चंद्र ग्रहण देखने के लिए किसी खास उपकरण की जरूरत नहीं होती है. चंद्र ग्रहण का नजरा खुली आंखों से देखा जा सकता है और यह पूरी तरह सुरक्षित है. दरअसल, सूर्य ग्रहण के दौरान सोलर रेडिएशन से आंखों के नाजुक टिशू डैमेज हो जाते है, जिस वजह से आखों में विजन – इशू यानि देखने में दिक्कत हो सकती है. इसे रेटिनल सनबर्न भी कहते हैं. ये परेशानी कुछ वक्त या फिर हमेशा के लिए भी हो सकती है. लेकिन चंद्र ग्रहण के दौरान ऐसा नहीं होता. इस दिन चांद को खुली आंखों से देखने से कोई नुकसान नहीं होता.