Friday, November 22, 2024
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सूरज डूबने के बाद किया जाता है भगवान शिव का पूजन: प्रदोष व्रत

SI News Today

प्रदोष व्रत भगवान शिव की आस्था में किया जाता है। इस व्रत को अधिकतर महिलाएं करती हैं। इस बार फाल्गुन माह में 13 फरवरी मंगलवार को प्रदोष व्रत पड़ रहा है। मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। सूरज डूबने और रात होने से पहले के पहर को प्रदोष काल कहा जाता है। इस दिन जो भक्त भगवान शिव के लिए व्रत रखते हैं और उनका पूजन करते हैं उनकी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां दूर होती है। इसी के साथ जो महिलाएं संतान प्राप्ति की इच्छा के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का इस दिन पूजन करती हैं, उनकी इच्छा भोलेनाथ पूर्ण करते हैं।

भौम प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखने वाले को प्रातः काल उठकर स्नान करने के बाद भगवान शिव का पूजन करना चाहिए। पूरे दिन अपने कार्यों के साथ ऊं नमः शिवाय का पाठ करें। प्रदोष व्रत में भक्त अन्न नहीं ग्रहण करते हैं। त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व शिव जी का पूजन करना चाहिए। भौम प्रदोष व्रत की पूजा शाम 4.30 बजे से लेकर 7 बजे तक की जाती है। व्रत करने वाले भक्त को शाम को पुनः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूजा स्थल को शुद्ध कर लें। व्रत करने शिव मंदिर में भी जाकर पूजा कर सकते हैं।

पांच रंगों की रंगोली बनाने के बाद मंडप तैयार करें, पूजन की सामग्री एकत्रित करके कलश में शुद्ध जल भर ले। आसन पर विराजमान होकर विधि-विधान से भगवान शिव का पूजन करें। ऊं नमः शिवाय के जाप के साथ भगवान शिव को जल अर्पित करें। भगवान शिव की स्तुति पढ़ने के बाद भौम प्रदोष व्रत की कथा सुनें और कथा समाप्ति के बाद भगवान शिव की आरती करें। भगवान शिव के भक्तों में प्रसाद वितरित करें। व्रत खोलते समय भोजन में मीठी सामग्री का सेवन करें। इस विधि से व्रत करने वाले भक्तों को की संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है। इसी के साथ शिव भक्त निरोग रहते हैं।

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