After the Kejriwal, Shiv Sena gave support to this party!
दिल्ली में उपराज्यपाल के दफ्तर में चल रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के धरने का समर्थन करने के एक बाद, शिवसेना ने केंद्र के नागरिकता (संशोधन) विधेयक का विरोध कर रही असम गण परिषद (अगप) के साथ मंगलवार(19 जून) को सहानुभूति जताई. शिवसेना ने 2014 में जबर्दस्त बहुमत के साथ भाजपा के सत्ता में आने को ‘ राजनीतिक दुर्घटना ’ करार दिया है और कहा है कि अगले आम चुनाव में ऐसा फिर नहीं होगा.
शिवसेना ने पीएम पर कसा तंज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जल्दी- जल्दी विदेश यात्राओं पर तंज कसते हुए पार्टी ने कहा कि भारत में आंधी आ रही है और प्रधानमंत्री अधिकतर देश से बाहर रहने की वजह से इससे प्रभावित नहीं होते हैं. महाराष्ट्र में भाजपा के साथ सत्ता में साझेदार शिवसेना ने कहा कि अगप के कुछ प्रतिनिधि कल पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के घर ‘मातोश्री’ आए थे.
शिवसेना ने कहा कि अगप असम में भाजपा की सहयोगी है
शिवसेना ने पार्टी मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित एक संपादकीय में कहा कि इन लोगों ने यह विचार व्यक्त किया कि शिवसेना राष्ट्रीय स्तर पर क्षेत्रीय पार्टियों के गठबंधन की अगुवाई करे. शिवसेना ने कहा कि अगप असम में भाजपा की सहयोगी है और नागरिकता (संशोधन) विधेयक का कड़ा विरोध कर रही है. शिवसेना ने कहा कि हर क्षेत्र के गर्व के अपने तत्व होते हैं. इसलिए भाषा आधारित राज्य गठन नीति को स्वीकार किया गया.
असम गण परिषद असम में भाजपा नीत सरकार की घटक है
पार्टी ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र से प्रेम करना देशद्रोह नहीं है.’’ असम गण परिषद असम में भाजपा नीत सरकार की घटक है. इसने नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लेकर आपत्तियां जताई हैं और कहा कि अगर यह विधेयक पारित हो जाता है तो ऐतिहासिक असम समझौता निरर्थक हो जाएगा. असम समझौते के मुताबिक, 1971 के बाद बांग्लादेश से जो भी विदेशी इस पूर्वोत्तर राज्य में आए हैं उन्हें उनका धर्म देखे बिना निर्वासत किया जाए.
शिवसेना ने महाराष्ट्र के अगले विधानसभा में जीत का भरोसा जताया है
इसबीच, शिवसेना ने महाराष्ट्र के अगले विधानसभा में जीत का भरोसा जताया है. पार्टी पहले ही भविष्य में होने वाले चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर चुकी है. संपादकीय में कहा गया है , ‘‘शिवसेना अपने बल पर महाराष्ट्र में निश्चित रूप से सत्ता में आएगी.
पार्टी केंद्र में पर्याप्त सीटें हासिल करेगी और एक ऐसा कारक बनेगी जो यह फैसला करेगा कि दिल्ली के सिंहासन (प्रधानमंत्री पद) पर कौन आसीन होगा. ’’ इसमें कहा गया है कि पार्टी ने 52 साल पूरे कर लिए हैं और यह सफर संघर्ष से भरा रहा.