Monday, December 23, 2024
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केरल की राजनीति में क्या बीजेपी खिला पाएगी कमल! जानिए…

SI News Today
Kerala BJP will be able to feed Kamal! Learn...

देश की अन्य कुछ लोकसभा और कुछ विधानसभा सीटों की तरह ही केरल में चेंगन्नुर विधानसभा सीट पर सोमवार को मतदान होगा. लेकिन यहां होने वाले उपचुनाव ने राजनीतिक परिदृश्य में जितनी उत्सुकता और अनिश्चितता पैदा की है, उतनी हाल में हुए किसी उपचुनाव ने नहीं की है. यूं तो मतदान शुरू होने में अभी समय है लेकिन राज्य के राजनीतिक मोर्चो सत्तारूढ़ एलडीएफ, विपक्षी यूडीएफ और एनडीए में एक अजीब तरह की बैचेनी देखी जा सकती है. दरअसल, इस सीट का नतीजा अहम है क्योंकि लोकसभा चुनाव होने में अब एक साल का वक्त भी नहीं बचा है.

मध्य केरल में पड़ने वाली चेंगन्नूर विधानसभा सीट पर सीपीएम विधायक केके रामचंद्र के निधन की वजह से उपचुनाव हो रहा है. उनका इस साल जनवरी में बीमारी की वजह से निधन हो गया था. इस उपचुनाव के परिणाम को राज्य में पी. विजयन नीत एलडीएफ सरकार और केंद्र की नरेंद्र मोदी नीत राजग सरकार के कामकाज पर जनमत संग्रह के तौर पर देखा जाएगा. मोदी सरकार के बने चार साल हो गए हैं.

कांग्रेस के लिए भी सीट को जीतना अहम है. यहां जीत का परचम लहराकर कांग्रेस अपने विरोधी मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी से अपनी पारंपरिक सीट वापस छीन सकती है और आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भर सकती है.

इस उपचुनाव की अहम बात यह भी है कि यहां सीपीएम के नेतृत्व वाले एलडीएफ, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और एनडीए के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. केरल में दशकों से दो ध्रुवी राजनीति होती है. माकपा ने पार्टी के अलाप्पुझा के जिला सचिव एस. चेरियां को एलडीएफ उम्मीदवार के तौर पर उतारा है जबकि कांग्रेस नेता डी. विजय कुमार यूडीएफ के उम्मीदवार है.

वहीं बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पीएस श्रीधरन पिल्लई एक बार फिर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. उन्होंने 2016 के चुनाव में एलडीएफ और यूडीएफ को कड़ी टक्कर दी थी.

इकलौता वामगढ़
केरल भारत का इकलौता राज्य है जहां वाम दलों की सरकार है. जिस तरह से पिछले दिनों बीजेपी ने त्रिपुरा में वाम दलों को सत्ता से बाहर करते हुए शून्य से शिखर की यात्रा की है, उसका कुछ ना कुछ असर तो केरल में जरूर देखने को मिलेगा. अगर यहां बीजेपी के वोट की बात की जाए तो पिछले साल हुए चुनाव में बीजेपी को करीब 15 फीसदी वोट मिले थे. उपचुनाव में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए बीजेपी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब को चुनाव प्रचार के लिए भेजा था. बिप्लब देब ने अपने प्रचार अभियान में कहा कि त्रिपुरा को सीपीएम ने बर्बाद कर दिया था. जनता ने परेशान होकर बीजेपी को सत्ता सौंपी है. यही हाल केरल का है. बीजेपी यहां कदम जमाने की हर संभव कोशिश कर रही है. 140 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी का केवल एक ही विधायक है.

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