पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी (संशोधन) विधेयक 2017 लोकसभा में पास हो गया है। इसके पास हो जाने के बाद अब सरकार पेमेंट ऑफ गारंटी एक्ट के तहत मौजूद समय में लागू 10 लाख रुपए तक टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की सीमा को बढ़ाकर 20 लाख रुपए कर देगी। सातवें वेतन आयोग के बाद केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिये ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया था। यूनियनों ने अधिनियम में बदलाव को शामिल करने की मांग की है। कई मुद्दो पर चल रहे विरोध के कारण इसे पास कराने में देरी हुई है। इससे पहले संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने कहा था कि ग्रेच्युटी (संशोधन) विधेयक का भुगतान एक महत्वपूर्ण कानून था और विपक्ष के सहयोग की मांग की थी।
सरकार को निरंतर सेवा विधेयक में शामिल महिला कर्मचारियों को वर्तमान 12 सप्ताह के स्थान पर “मैटरनिटी लीव’ को अधिसूचित किया जाए। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि मैटरनिटी सुविधा संशोधन अधिनियम 2017 के माध्यम से मैटरनिटी लीव की अवधि को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया था। ऐसे में केंद्र सरकार को वर्तमान 12 सप्ताह की अवधि को ऐसी अन्य अवधि के लिए अधिसूचित करने की बात कही गई है।
इस अधिनियम को लागू करने का मुख्य उद्देश्य रिटायरमेंट के बाद कामगारों की सामाजिक सुरक्षा, चाहे रिटायरमेंट की नियमावली के मुताबिक रिटायरमेंट हुआ हो अथवा शरीर के महत्वपूर्ण अंग के नाकाम होने से शारीरिक विकलांगता के कारण रिटायर हुए हों। अब, विधेयक विचार और पारित होने के लिए ऊपरी सदन में जाएगा। मौजूदा समय में 10 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी पर किसी भी तरह का टैक्स नहीं देना होता है। ग्रेच्युटी संगठित क्षेत्र के उन कर्मचारियों को मिलती है, जो किसी कंपनी में 5 साल या उससे ज्यादा समय के लिए अपनी सेवा देते हैं। उन्हें ग्रेच्युटी नौकरी छोड़ने पर या फिर रिटायरमेंट के समय पर दी जाती है। इससे पहले ग्रेच्युटी की टैक्स फ्री सीमा 2010 में तय की गई थी। तब से लेकर अब तक इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया।